भोपाल। राजधानी में साफ-सफाई के साथ ही सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को दिल्ली से आई टीमों ने गार्बेज फ्री सिटी (जीएफसी) के पैरामीटर्स पर परखना शुरू कर दिया है। टीम मंगलवार को सबसे पहले पुराने शहर पहुंची। यहां जगह-जगह कचरा मिला। इसकी तस्वीरें टीम ने खींची और पोर्टल पर अपलोड कर दीं। टीमों ने पहले दिन 10 वार्डों का जायजा लिया। स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 के तहत गार्बेज फ्री सिटी सर्वे अगस्त में होना था। सर्वे एजेंसी के टेंडर में देरी से यह करीब तीन महीने बाद शुरू हुआ है। टीमों ने मेन रोड और चौराहों के साथ बड़ी और छोटी झील समेत नवाब सिद्दीक हसन खां तालाब, मुंशी हुसैन खां और मोतिया तालाब का जायजा लिया। टीम ने तालाबों के कैचमेंट का जायजा लिया। इस दौरान तालाबों में मिलने वाली सीवेज लाइन, नालियों की फोटो खींची। सभी फोटो को पोर्टल पर अपलोड किया गया। अधिकतर जगह बंद मिले फाउंटेन : हवा को साफ करने के लिए मुख्य सड़कों के साथ चौक-चौराहों सहित अन्य जगहों पर फाउंटेन बनाए गए हैं। इन फव्वारों को चौबीस घंटे चलना है। निरीक्षण में अधिकतर फव्वारे बंद मिले। टीमों ने इनका फोटो खींचा और पोर्टल पर अपलोड कर दिया। एसटीपी हैं टारगेट: जानकारी के मुताबिक, टीमों का साफ-सफाई के साथ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) पर फोकस है। बुधवार को टीमें एसटीपी का जायजा ले सकती हैं। दरअसल, निगम को 11 एसटीपी बनाने थे, इनमें से आधे ही चालू हो सके हैं। इनमें से ज्यादातर काम के नहीं हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण बड़ी झील में सीवेज मिलने से रोकने के लिए बनाया गया शिरीन नदी एसटीपी है। यह एसटीपी डिस्चार्ज होने वाले सीवेज से बहुत कम क्षमता का है। लिहाजा रोजाना बड़े पैमाने पर अनट्रीटेड सीवेज सीधे बड़ी झील में जा रहा है। इस मामले में पीसीबी नगर निगम पर जुर्माना लगा चुका है।