जालंधर। भारत के 1.3 अरब लोग उन क्षेत्रों में रहते हैं, जहां वार्षिक औसत कण प्रदूषण स्तर डब्ल्यूएचओ दिशानिर्देश से अधिक है। विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में पीएम 2.5 के स्तर के मामले में दिल्ली दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में चौथे स्थान पर है। मुंबई में पिछले 4 वर्षों में 110% की वृद्धि देखी गई, जबकि लखनऊ, पटना, बेंगलुरु और चेन्नई में पीएम 2.5 के स्तर में गिरावट देखी गई, चेन्नई में 2023 में 23% की कमी देखी गई। जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीसीसीएचएच) के सलाहकार डॉ. नरेश पुरोहित ने शनिवार को पटियाला स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज द्वारा ‘वायु प्रदूषण से उत्पन्न खतरों’ विषय पर आयोजित सेमिनार में बताया कि 2022 में पीएम 2.5 के स्तर के मामले में दिल्ली दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में चौथे स्थान पर है। उन्होंने कहा कि जैसे जहरीले प्रदूषकों की धुंध दृष्टि में उदासी लाती है, वैसे ही यह मानव मन पर भी लागू होती है। सूर्य के पर्याप्त संपर्क के बिना, सेरोटोनिन हार्मोन का स्तर कम हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप अवसाद और चिंता का खतरा बढ़ जाता है।