भोपाल। यूनानी चिकित्सा पद्धति; आयुर्वेद से मिलती जुलती प्राचीन प्रचलित चिकित्सा पद्धति है दोनों में उपचार के लिए नैसर्गिक औषधियों का उपयोग किया जाता है और दोनों पद्धतियों का उद्देश्य “निरोगी काया” है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति में बीमारी होने के बाद उपचार किया जाता है जबकि यूनानी और आयुर्वेद दोनों ही चिकित्सा पद्धति में बीमारी से पूर्व बचाव के साथ रोग उपरांत दोनों का उपचार होता है। यह बात उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री श्री इन्दर सिंह परमार ने सोमवार को भोपाल के आयुष परिसर स्थित हकीम सैय्यद जियाउल हसन शासकीय (स्वशासी) यूनानी चिकित्सा महाविद्यालय के नवीन 180 सीटर “महिला छात्रावास भवन” के लोकार्पण के अवसर पर कही।विश्वमंच पर चिकित्सा पद्धतियों के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में भारतीय परंपरागत चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद का महत्वपूर्ण स्थान है। विश्व के विभिन्न देशों ने हमारे परंपरागत आयुर्वेद पर शोध और दस्तावेजीकरण कर अपना औषधीय स्वरूप सृजित किया है। हमारी आयुर्वेदीय और यूनानी धरोहर के दस्तावेजीकरण के महत्व को समझने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण परिवेश में पारंपरिक औषधियों से उपचार करने वालों को प्रशिक्षित कर, उनकी चिकित्सा पद्धति को आधुनिक वैज्ञानिक पद्धति के साथ जोड़ कर लोगों के जीवन बचाने में उपयोगी नवाचार किए जा सकते हैं। प्रदेश में आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा पद्धति के विस्तार के लिए व्यापक कार्ययोजना बनाने की आवश्यकता है। महाविद्यालय परिसर में नवीन छात्रावास भवन के शुभारंभ पर छात्राओं को बधाई दी। उन्होंने कहा कि अब बेटियों को सुलभ रूप से आवासीय सुविधा उपलब्ध हो गई है। श्री परमार ने नवनिर्मित “महिला छात्रावास भवन” में मिलने वाली सुविधाओं का अवलोकन भी किया। ज्ञातव्य है कि नवीन “महिला छात्रावास भवन” का 5 करोड़ 40 लाख रुपए लागत राशि से लोक निर्माण विभाग द्वारा निर्माण किया गया है। नवनिर्मित भवन में 60 कमरे हैं, जिनमें 180 सीट की क्षमता है।इस अवसर पर आयुक्त भोपाल संभाग डॉ पवन शर्मा, आयुक्त आयुष श्रीमती सोनाली पोंक्षे वायंगणकर एवं महाविद्यालय की प्रधानाचार्य डॉ. मेहमूदा बेगम सहित विभागीय अधिकारी, प्राध्यापकगण एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।