भोपाल। मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव की 18 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की घोषणा पिछले सात दिनों से हर रोज टलती जा रही है। सात दिनों से लगातार टल रही घोषणा में बार-बार पेंच फंस रहे हैं, इसके चलते अब तक उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की गई। दरअसल पार्टी के केंद्रीय नेता अब तब उम्मीदवार के चयन को लेकर संतुष्ट नहीं हो पाए हैं। अब शनिवार को प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने दावा किया है कि आज पार्टी उम्मीदवारों का ऐलान कर देगी। इधर विदिशा से पूर्व सांसद प्रताप भानु शर्मा और मुरैना से पंकज उपाध्याय को प्रत्याशी बनाया जाना भी लगभग तय हो गया है।
पिछले शनिवार यानि 16 मार्च को मध्य प्रदेश की 18 सीटों पर प्रत्याशी चयन को लेकर दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होना थी, लेकिन इस बैठक से एक दिन पहले यह तय कर दिया गया कि सोमवार को यानि 18 मार्च को उम्मीदवारों के नाम चयन को लेकर केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होगी। मध्य प्रदेश से किसी भी सीट पर मजबूत नाम नहीं होने के चलते केंद्रीय चुनाव समिति के नेताओं ने चर्चा बाद में करने का तय किया। इसके बाद तय हुआ कि गुरुवार के केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होगी, गुरुवार के बैठक हुई इसमें कुछ सीटों पर उम्मीदवारों के नाम तय कर लिए, लेकिन इस बैठक के दो दिन बाद तक पार्टी उम्मीदवारों का ऐलान नहीं कर सकी।
गुरुवार को हो गए थे ये नाम तय
राजगढ़ से दिग्विजय सिंह, गुना से अरुण यादव, झाबुआ से कांतिलाल भूरिया, भोपाल से अरुण श्रीवास्तव, इंदौर से अक्षय कांति बम, उज्जैन से महेश परमार, मंदसौर से दिलीप सिंह गुर्जर, सागर से चंद्र भूषण सिंह, होशांगबाद से संजय शर्मा, रीवा से नीलम मिश्रा, शहडोल से फुंदेलाल मार्को, जबलपुर से दिनेश यादव, खंडवा से नरेंद्र पटेल के नाम तय हो गए थे।
दिग्गज नेताओं के कारण फंसा पेंच
सूत्रों की मानी जाए तो मध्य प्रदेश में दिग्गज नेताओं के कारण लगातार पेंच फंसता गया। प्रदेश के दिग्गज नेता चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे, वे जिनके नाम सुझा रहे थे, वे मजबूत नेता नहीं थे। ना ही दिग्गज नेता किसी को जीताने की गारंटी लेना चाहते थे। ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व ने दिग्गज नेताओं को ही चुनाव में उतारने दबाव बनाया, यह दबाव दिग्विजय सिंह और अरुण यादव पर तो चला, लेकिन कमलनाथ, जीतू पटवारी, मीनाक्षी नटराजन पर नहीं चला। इनके अलावा भोपाल, विदिशा, मुरैना, जबलपुर, इंदौर, खंडवा, मंदसौर में पार्टी को दमदार नेता चुनाव लड़ने के लिए नहीं मिल रहे थे। इन सब के चलते पार्टी और अधिक समय चाह रही थी कि शायद उसका कोई दांव काम आ जाए और कोई मजबूत चेहरा उसे चुनाव लड़ने के लिए मिल जाए, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।
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