भोपाल। मध्यप्रदेश, देश का सबसे अच्छा फूड बास्केट है। कृषि खाद्य तथा डेयरी प्रोसेसिंग उद्योगों में निवेश के लिए आज की स्थिति में मध्यप्रदेश देश का सर्वाधिक अनुकूल राज्य है। उज्जैन में आयोजित रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव-2024 के प्रथम दिवस सेमिनार में शामिल उद्योगपतियों तथा एंटरप्रेन्योर्स ने मध्यप्रदेश में एग्रीकल्चर, फूड तथा डेयरी प्रोसेसिंग के विकास एवं निवेश की अपार संभावना पर चर्चा की और इस दिशा में मध्यप्रदेश शासन की सकारात्मक उद्योग नीति की सराहना की। सेमिनार के द्वितीय सत्र में प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त श्री एस.एन. मिश्रा, प्रमुख सचिव पशुपालन तथा डेयरी श्री गुलशन बामरा, प्रमुख सचिव उद्यानिकी तथा फूड प्रोसेसिंग श्री सुखबीर सिंह, सीनियर मैनेजर पेप्सीको श्री संदीप समदार, आईटीसी के वाइस प्रेसिडेंट श्री सचिन शर्मा, ट्रॉपी लाइट फूड्स के सीईओ श्री पुनीत डावर और डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर मदर डेयरी श्री जेटी चारी शामिल थे।

सेमिनार में कृषि उत्पादन आयुक्त श्री मिश्रा ने स्वागत उद्बोधन दिया। उन्होंने निवेशकों से कहा कि बिना किसी परेशानी के उनको सभी सुविधाएं प्रदान की जायेंगी। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश दुग्ध उत्पादन में तीसरा स्थान रखता है। टमाटर, सोयाबीन, गेहूँ, मक्का, प्याज, लहसुन और हरी मिर्च के उत्पादन में दूसरा स्थान रखता है। देश की 27% जैविक खेती मध्यप्रदेश में होती है। प्रमुख सचिव श्री बामरा ने उद्योगपतियों को बताया कि मध्यप्रदेश विविध कृषि एवं उद्यानिकी गतिविधियों में देश में अग्रणी स्थान रखता है। साथ ही मध्यप्रदेश की उद्योग फ्रेंडली नीति से डेरी खाद्य तथा कृषि प्रसंस्करण उद्योगों के विकास में नवीन आयाम स्थापित किए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश में 25 लाख हेक्टेयर भूमि में उद्यानिकी उत्पाद लिए जा रहे हैं। उद्यानिकी उत्पादों के समग्र रूप से उत्पादन में मध्यप्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। मध्यप्रदेश में फूल फल तथा एरोमेटिक फसलों के उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर है। खाद्य डेरी प्रोसेसिंग यूनिट्स के लिए सकारात्मक उद्योग नीति बनाई गई है। प्रदेश में प्लांट तथा मशीनरी पर 40% तक सब्सिडी दी जा रही है। फूड पार्क के मामले में प्रोजेक्ट कॉस्ट की 15% राशि सब्सिडी के रूप में दी जा रही है। कृषि खाद्य एवं डेयरी की सूक्ष्म इकाइयों की स्थापना के संबंध में अतिरिक्त रूप से शासन द्वारा इंसेंटिव प्रदान किया जाता है। अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए अतिरिक्त तथा निर्यात करने वाली इकाइयों को एडिशनल 12% इंसेंटिव दिया जा रहा है।