धार। मध्य प्रदेश के धार में स्थित भोजशाला का कल यानी 22 मार्च से सर्वे शुरू होगा।सर्वे के दौरान मुख्य रूप से यह बात सामने आ सकती है कि यहां पर किस तरह के प्रतीक चिह्न हैं। किस तरह की यहां की वास्तु शैली है। साथ ही यह भी स्पष्ट हो जाएगा कि यह किस तरह की धरोहर है।
हाईकोर्ट ने दिया था फैसला
कुछ ही दिन पहले हाईकोर्ट ने भोजशाला में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) को सर्वे के आदेश दिए थे। हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की ओर से एक याचिका दायर की गई थी। याचिका में मुसलमानों को भोजशाला में नमाज पढ़ने से रोके जाने और हिंदुओं को नियमित पूजा का अधिकार देने की मांग की गई थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने एएसआई को वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया। इससे पहले, सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने फरवरी में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
29 अप्रैल से पहले सौंपनी होगी रिपोर्ट
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने आदेश में कहा था कि परिसर में कार्बन डेटिंग विधि से एक विस्तृत वैज्ञानिक जांच की जानी चाहिए, जिससे जमीन के ऊपर और नीचे दोनों तरह की संरचना कितनी पुरानी है और उनकी उम्र का पता लगाया जा सके।
अदालत की ओर से यह भी कहा गया कि सर्वेक्षण ये कार्यवाही दोनों पक्षों को दो प्रतिनिधियों की उपस्थिति में की जाए और उसकी वीडियोग्राफी होनी चाहिए अब इस मामले की अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होनी है. साथ ही कोर्ट ने ASI को 29 अप्रैल से पहले अपनी रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।
राजा भोज ने बनवाई थी भोजशाला: हिंदू पक्ष
हिंदू संगठनों के मुताबिक, धार स्थित कमाल मौलाना मस्जिद दरअसल मां सरस्वती मंदिर भोजशाला है. सन 1034 में राजा भोज ने संस्कृत की पढ़ाई के लिए भोजशाला को बनवाया था, लेकिन बाद में मुगल आक्रांताओं ने उसे तोड़ दिया था। इसी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस द्वारा हाईकोर्ट में आवेदन दिया था जिस पर पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने एएसआई को वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था।