भोपाल। मध्य प्रदेश में पहले चरण में लोकसभा की 6 सीटों पर मतदान होना है। इन 6 सीटों में से तीन सीटों पर कांग्रेस के बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है, जबकि भाजपा की ओर से भी एक केंद्रीय मंत्री को दम दिखाना होगी। उन्हें हाल ही में विधानसभा चुनाव में मिली हार से उभरना होगा। इन सीटों में से सबसे चर्चित सीट छिंदवाड़ा है। जहां से चुनाव तो नकुलनाथ लड़ रहे हैं, लेकिन प्रतिष्ठा पूरी तरह से कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ की दांव पर लगी हुई है। मध्य प्रदेश में पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होना है। इसमें सीधी, शहडोल, मंडला, जबलपुर, बालाघाट और छिंदवाड़ा सीटे शामिल हैं।
टिकट तय करने वाले सीईसी के सदस्य और केंद्रीय मंत्री का रोचक मुकाबला
मंडला अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा के दो बड़े नेताओं के बीच रोचक मुकाबला है। यहां पर कांग्रेस से ओमकार सिंह मरकाम प्रत्याशी हैं। ओमकार सिंह मरकाम कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य हैं और वे देश भर में कांग्रेस उम्मीदवारों के चयन को लेकर होने वाली बैठक का अहम हिस्सा हैं। मरकाम का मुकाबला नरेंद्र मोदी सरकार के मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते से है। कुलस्ते भाजपा के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। यह उनकी परम्परागत सीट है।
बेटे का चुनाव, दांव पर कमलनाथ की साख
इनमें कमलनाथ तो पिछले 44 साल से कांग्रेस के साथ ही केंद्रीय राजनीति में अपना अलग मुकाम बनाए हुए हैं। उनके बेटे नकुलनाथ छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने भाजपा ने विवेक साहू बंटी को मैदान में उतारा है। नकुलनाथ वर्ष 2019 में भी इसी सीट से चुनाव लड़े थे और लगभग 37 हजार वोटों से उन्होंने यह चुनाव जीत लिया था, यह स्थिति तब थी, जब कमलनाथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और वे स्वयं भी छिंदवाड़ा विधानसभा से उपचुनाव लड़ रहे थे। पिछले चुनाव में मध्य प्रदेश की 29 सीटों में से कांग्रेस सिर्फ इसी सीट पर विजय हुई थी। इस बार कमलनाथ ने पूरी ताकत अपने बेटे नकुलनाथ को जिताने के लिए लगा दी है। नाथ जानते हैं कि, इस बार भाजपा ने यह सीट छीनने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी है।
कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य का पहला चुनाव
सीधी लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार कमलेश्वर पटेल लोकसभा का पहला चुनाव लड़ रहे हैं। कमलेश्वर पटेल कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य हैं। पार्टी ने भाजपा के इस गढ़ पर भेदने के लिए उन्हें उतारा है। इस सीट पर उनके पिता इंद्रजीत पटेल भी लोकसभा का चुनाव हार चुके हैं। इस सीट से अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह को भी कांग्रेस ने 2014 में मैदान में उतारा था, लेकिन वे इस सीट से नहीं जीत सके। इससे यह साफ है कि यह सीट कांग्रेस के लिए आसान नहीं हैं। इसलिए इस सीट पर सीईसी के सदस्य को उतार कर कांग्रेस ने यह संदेश दिया है कि वह पूरी ताकत से चुनाव लड़ रही है।