ग्वालियर। प्रदेश का परिवहन विभाग इस बार टारगेट अचीव करने में फिसड्डी साबित हुआ है। आलम यह है कि परिवहन विभाग का अमला साल भर में टारगेट से 195 करोड़ कम राजस्व जुटा पाया है। इसको लेकर विभाग के आला अफसरों से लेकर जिलों के आरटीओ, डीटीओ की कार्यशैली पर सवाल उठ खड़ हुए हैं। ऐसी क्या कमजोरी रही कि टारगेट पूरा नहीं हो सका, इसके बाद ज्यादा खराब प्रदर्शन वाले जिलों के अधिकारियों के खिलाफ एक्शन भी लिया जा सकता है। मप्र शासन ने गत वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए परिवहन विभाग को 4800 करोड़ रुपए राजस्व जुटाने का टारगेट दिया था। वित्तीय वर्ष की आखिरी तिथि 31 मार्च तक विभाग का मैदानी अमला करीब 4605 करोड़ रुपए प्राप्त कर सका। इसमें आॅल इंडिया परमिट से मिलने वाली 240 करोड़ की राशि भी शामिल है। कुलमिलाकर साल भर में विभागीय अमला टारगेट से 195 करोड़ रुपए कम राजस्व ही जुटा पाया। हालांकि अंतिम दिनों में सभी जिलों के आरटीओ, डीटीओ ने पूरा जोर लगाते हुए टैक्स वसूली बढ़ाई।

पिछले साल समय से पहले पूरा हो गया था टारगेट
पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 में की बात करें तो राज्य शासन ने परिवहन विभाग को 3900 करोड़ रुपए राजस्व वसूली का टारगेट दिया था। तत्कालीन परिवहन आयुक्त संजय झा और अपर परिवहन आयुक्त (प्रवर्तन) अरविंद  कुमार सक्सेना के  बेहतर कोआर्डिनेशन के चलते समय से पहले ही टारगेट पूरा हो गया था। जिस पर तत्कालीन परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत ने अच्छा प्रदर्शन करने वाले आरटीओ,डीटीओ के काम की प्रशंसा की थी।