नई दिल्ली। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से मतदान के दौरान हर वोटर को वेरिफिकेशन के लिए वीवीपैट स्लिप दिए जाने की मांग वाली अर्जी पर मंगलवार को सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने कहा कि जब सीक्रेट बैलेट से वोटिंग होती थी, तब भी समस्याएं हुआ करती थीं। बेंच में शामिल जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, ‘हम अपनी जिंदगी के छठे दशक में हैं। हम सभी जानते हैं कि जब बैलेट पेपर्स से मतदान होता था तो क्या स्थिति थी। आप भूल गए होंगे, पर हमें सब कुछ याद है।’ जस्टिस संजीव खन्ना ने एडीआर की ओर से अर्जी दाखिल करने वाले प्रशांत भूषण की ओर मुखातिब होते यह बात कही।
इस दौरान प्रशांत भूषण ने जर्मनी समेत कई यूरोपीय देशों का जिक्र किया और कहा कि ये सभी अब ईवीएम छोड़कर बैलेट पेपर्स की ओर लौट गए हैं। इस पर जस्टिस दीपांकर दत्ता ने सवाल पूछ लिया, ‘जर्मनी की आबादी क्या है?’ इस पर भूषण ने कहा कि 6 करोड़ है। फिर जस्टिस खन्ना बोले हमारे देश में तो करीब 50 से 60 करोड़ मतदाता है।
प्रशांत भूषण ने बेंच की ओर से बैलेट पेपर्स पर सवाल उठाने पर नया तर्क दिया। उन्होंने कहा, ‘हम पेपर बैलेट पर वापस जा सकते हैं। एक विकल्प यह है कि वीवीपैट स्लिप वोटर के हाथ में दी जाए। अन्यथा VVPAT स्लिप मशीन में गिर जाती है। इन पर्चियों को वोटर को दिया जाना चाहिए और फिर उन्हें बैलेट बॉक्स में रखा जा सकता है। इसके लिए वीवीपैट का डिजाइन बदलना चाहिए। वोटर को साफ तौर दिखना चाहिए कि उसका मत किसे मिला है। लेकिन अभी जो व्यवस्था है, उसमें 7 सेकेंड के लिए ही लाइट जलती है और पता चलता है कि वोट कहां गया।’
जस्टिस बोले- मशीन सही रिजल्ट देती है, मानवीय दखल खतरनाक
बहस के दौरान एक अन्य अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि ईवीएस से जो वोट पड़ता है, उसका मिलान VVPAT स्लिप से करना चाहिए। इस पर जस्टिस खन्ना ने सवालिया अंदाज में कहा, ‘आप यह कहना चाहते हैं कि 60 करोड़ वीवीपैट स्लिप को गिना जाए। आपका यही कहना है?’ जज ने इस दौरान अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि जब मानवीय दखल होता है तो फिर समस्या बढ़ जाती है। उन्होंने कहा, ‘यदि इंसानी दखल न हो तो फिर मशीन आपको एकदम सटीक जवाब दे सकती है। समस्या तब पैदा होती है, जब मानवीय दखल दिया जाता है। यदि आपका मशीन से छेड़छाड़ रोकने को लेकर कोई सुझाव है तो वह दीजिए