मुंबई। भारतीय अर्थव्यवस्था का आउटलुक काफी अच्छा है और वित्त वर्ष 2024-25 में वृद्धि दर 7 प्रतिशत रह सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा गुरुवार को जारी की गई वार्षिक रिपोर्ट में ये जानकारी दी गई। रिपोर्ट में बताया गया कि वैश्विक स्तर पर चुनौतियों के बावजूद भी वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की रियल जीडीपी में 7.6 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है, जो कि पिछले साल 7 प्रतिशत पर थी। यह लगातार तीसरा वर्ष है, जब अर्थव्यवस्था की वृद्धि 7 प्रतिशत से ऊपर रही है। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि मजबूत आधार, अच्छे वित्तीय आंकड़े और कॉरपोरेट सेक्टर के अच्छे प्रदर्शन के कारण वित्त वर्ष 2024-25 में अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ेगी। सरकार का पूंजीगत व्यय पर जोर रहेगा। साथ ही खपत बढ़ने से निवेश को सहारा मिलेगा। इसके अलावा रिपोर्ट में बताया गया कि एल नीनो के कम प्रभाव से दक्षिण पश्चिम मानसून सामान्य से अच्छा रह सकता है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) को पांच वर्ष के लिए बढ़ाने से देश की खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा। अंतरिम केंद्रीय बजट 2024-25 में कृषि क्षेत्र के समर्थन लिए सरकार ने आत्मनिर्भर तिलहन अभियान पर फोकस किया है। इसमें सभी कृषि-जलवायु क्षेत्रों में पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ नैनो डायम्मोनियम फास्फेट (डीएपी) के विस्तार और एक नई जैव-विनिर्माण और जैव-फाउंड्री योजना के माध्यम से जैव-अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने पर होगा। केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को वित्त वर्ष 2024-25 में पूंजीगत व्यय करने के लिए 1.3 लाख करोड़ की मदद दी जाएगी। सकल बाजार उधारी के बजट में कमी की गई है। यह वित्त वर्ष 2023-24 में 5.3 प्रतिशत था, जो कि वित्त वर्ष 2024-25 में 4.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इससे निजी निवेश को सहारा मिलेगा। रिपोर्ट में बताया गया कि कर संग्रह के तरीके का डिजिटलीकरण होने के कारण वित्त वर्ष 2024-25 में प्रत्यक्ष कर संग्रह जीडीपी का 6.7 प्रतिशत रहने की संभावना है और यह पिछले तीन दशकों में सबसे उच्चतम स्तर होगा।
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