भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में, मध्यप्रदेश ने पेयजल आपूर्ति और स्वच्छता के क्षेत्र में पिछले 9 महीनों में कई अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल की हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के जल जीवन मिशन के सपनों को साकार करने के समग्र प्रयास किये जा रहे हैं। प्रदेश में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री श्रीमती सम्पतिया उइके की सतत् निगरानी में विभाग ने अनेक योजनाओं का सफल क्रियान्वयन किया है, जिसके परिणामस्वरूप प्रदेश के लाखों परिवारों को नल से जल उपलब्ध कराया गया है।
प्रमुख उपलब्धियां
प्रदेश में पिछले 9 महीनों में, प्रदेश में 6 लाख से अधिक परिवारों को नल से जल उपलब्ध कराया गया है, जिससे “हर घर जल” के लक्ष्य की ओर तेजी से कदम बढ़ाए गए हैं। मध्यप्रदेश के जिन गाँवों में कार्य पूर्ण हो गया है उन्हें ‘हर घर जल’ ग्राम घोषित किया गया है, जो ग्रामीण जल आपूर्ति में मील का पत्थर साबित हुआ है। जल जीवन मिशन के अंतर्गत ₹7,364.98करोड़ रूपये का व्यय किया गया। इससे नज-जल परियोजनाओं को मजबूती मिली है। विगत नौ माह में प्रदेश की सभी जल योजनाओं की वित्तीय प्रामाणिकता पूरी कर ली गई है, जिससे परियोजनाओं में पारदर्शिता और कुशलता सुनिश्चित हो रही है। प्रदेश के सभी जल स्रोतों की जियो-टैगिंग पूरी की गई है, जबकि 95% स्कीम इंफॉर्मेशन बोर्ड भी जियो-टैग हो चुके हैं। यह प्रक्रिया योजनाओं की निगरानी और पारदर्शिता के लिए महत्वपूर्ण कदम है। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व और मुख्यमंत्री डॉ. यादव के मार्गदर्शन में, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग निरंतर प्रगति कर रहा है और “हर घर जल” के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में तेजी से अग्रसर है। इन सफल प्रयासों के साथ, मध्यप्रदेश न केवल जल आपूर्ति में बल्कि जल संरक्षण और स्वच्छता के क्षेत्र में भी देशभर में एक मिसाल कायम कर रहा है।
ग्रामीण विकास और स्वास्थ्य में अभूतपूर्व सुधार
जल जीवन मिशन के तहत ‘हर घर नल से जल’ योजना के सकारात्मक परिणाम अब स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगे हैं। मध्यप्रदेश में ग्रामीण इलाकों के लाखों परिवारों तक सुरक्षित पेयजल पहुंचाया जा चुका है। इस योजना के सफल क्रियान्वयन से प्रदेश के सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई सकारात्मक परिवर्तन हो रहे हैं।
स्वास्थ्य में सुधार
नल से स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में जलजनित रोगों में भारी कमी आई है। दूषित पानी से होने वाली बीमारियों जैसे डायरिया, हैजा और टाइफाइड जैसी बीमारियों में गिरावट देखी जा रही है, जिससे ग्रामीणों का स्वास्थ्य बेहतर हो रहा है।
महिलाओं के जीवन में सुधार
जल आपूर्ति सुनिश्चित होने से महिलाओं को जल के लिए लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ती, जिससे समय और ऊर्जा की बचत होती है। समय और ऊर्जा को अब वे अपनी शिक्षा, परिवार और अन्य आर्थिक गतिविधियों में व्यतीत कर पा रही हैं, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार हो रहा है।
स्वच्छता और स्वाभिमान
जल की सुगम उपलब्धता ने ग्रामीण स्वच्छता को भी बढ़ावा दिया है। शौचालयों और घरों में जल की निर्बाध आपूर्ति से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता और व्यक्तिगत स्वाभिमान में वृद्धि हुई है। इसके अलावा, ‘हर घर जल’ योजना के तहत स्वच्छ जल उपलब्धता ने ग्रामीणों में स्वाभिमान का भाव बढ़ाया है।
बालिका शिक्षा में सुधार
जल की उपलब्धता के कारण लड़कियों को भी स्कूल जाने का अधिक समय और अवसर मिल रहा है, क्योंकि उन्हें पानी लाने के लिए स्कूल छोड़ने की आवश्यकता नहीं होती। इस प्रकार बालिका शिक्षा दर में बढ़ोतरी हुई है और उनके भविष्य की संभावनाएं मजबूत हुई हैं।
सामुदायिक एकता और विकास
नल से जल की सुविधा ने गांवों में सामुदायिक एकता और सहयोग की भावना को प्रबल किया है। लोग जल गुणवत्ता परीक्षण और जल संरक्षण के महत्व को समझते हुए सामूहिक रूप से इसका समर्थन कर रहे हैं। जल समितियों के गठन और उनके प्रशिक्षण से गांवों में समृद्धि और विकास का वातावरण बना है।
वित्तीय बचत और समृद्धि
घरों तक जल पहुंचने से जल परिवहन और संग्रहण के खर्च में कमी आई है। ग्रामीण परिवार अब इस बचत को अन्य महत्वपूर्ण जरूरतों पर खर्च कर पा रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। हर घर नल से जल योजना के ये प्रारंभिक सकारात्मक परिणाम बताते हैं कि यह योजना न केवल ग्रामीण परिवारों की जीवनशैली में सुधार ला रही है, बल्कि प्रदेश की संपूर्ण विकास यात्रा में मील का पत्थर साबित हो रही है। सरकार का यह उद्देश्य है कि हर परिवार को समयबद्ध तरीके से नल से जल की सुविधा प्रदान की जाए