मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के धर्मनगरी उज्जैन में साधु संतों, महंत, अखाड़ा प्रमुखों, महामंडलेश्वर इत्यादि को स्थाई आश्रम बनाने की अनुमति दिए जाने के निर्णय से उज्जैन नगरी का वातावरण धर्ममय होगा। यह बात उज्जैन से पधारे अखाड़ा परिषद के संतजनों ने मुख्यमंत्री निवास समत्व भवन में मुख्यमंत्री डॉ. यादव का सम्मान करते हुए कही। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का सभी संतों ने शॉल और फूलों की बड़ी माला पहनाकर अभिनंदन किया एवं आशीर्वाद दिया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सनातन परंपरा का पालन करते हुए संतजनों का स्वागत किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जय श्री महाकाल के उद्घोष से सभी का अभिनंदन भी किया। सभी संतों ने आगामी सिंहस्थ की तैयारी अभी से प्रारम्भ करने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. यादव के प्रयासों की सराहना की। उज्जैन तीर्थ विकास एवं संतों के प्रति संवेदनशीलता के लिये मुख्यमंत्री डॉ. यादव को साधुवाद भी दिया। सभी संतों ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव को स्मृति चिन्ह भी भेंट किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सभी संतों को उज्जैन में विकास कार्यों की जानकारी दी और उनके सुझाव प्राप्त किए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने शिप्रा नदी के जल संरक्षण, उज्जैन में स्वच्छता, अखाड़ों के निर्माण की योजना, जल निकासी, आगामी कुंभ की तैयारियों की जानकारी दी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सभी संतजनों को निवास में भोजन कराया तथा स्वयं भी संतों के साथ भोजन किया। मुख्यमंत्री निवास पर अखाड़ा परिषद उज्जैन के अध्यक्ष महंत श्री रामेश्वरदास जी महाराज, उपाध्यक्ष महंत श्री आनन्दपुरी जी महाराज जूना अखाड़ा, उपाध्यक्ष महंत श्री सत्यानन्द जी महाराज बडा अखाड़ा, महामंत्री महंत श्री रामेश्वरगिरी जी महाराज जूना अखाड़ा, महंत श्री भगवानदास जी महाराज निर्मोही अखाड़ा, महंत श्री श्यामागिरी जी महाराज, महंत श्री प्रेमगिरी जी महाराज, महंत श्री राजीव दास जी महाराज, महंत श्री रामचन्द्र दास जी महाराज दिगम्बर अखाड़ा, महंत श्री सेवागिरी जी महाराज अव्हान अखाड़ा, महंत श्री रामेश्वर गिरी जी महाराज अव्हान अखाड़ा, महंत श्री महेशदास जी महाराज, महंत श्री दिग्विजय दास जी महाराज, महंत श्री समुन्दर गिरी जी महाराज आनंद अखाड़ा, महंत श्री सुरेशानंद गिरी जी महाराज, महंत श्री कृष्णानन्द जी महाराज, महंत श्री रमेशानंद ब्रहमचारी जी, महंत श्री मंगलदास जी महाराज नया अखाड़ा, महंत श्री राजेन्द्र गिरी जी महाराज अव्हान अखाड़ा, महंत श्री विशालदास जी महाराज, महंत श्री राघवेन्द्रदास महाराज और महंत श्री देवगिरी जी महाराज सहित अन्य संतजन उपस्थित रहे।