देहरादून। श्री बद्रीनाथ धाम (हि.स.)। विश्व प्रसिद्ध श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट रविवार को सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों के बीच विधि-विधान से जय बद्री विशाल के उद्घोष के साथ रात नौ बजकर सात मिनट पर शीतकाल के लिए बंद हो गए। इसी के साथ अब चारधाम यात्रा शीतकाल तक के लिए बंद हो गई। रविवार को 10 हजार से अधिक श्रद्धालु भगवान बदरी विशाल के दर्शन किए और कपाट बंद होने के साक्षी बने। बर्फीले पहाड़ और सर्द बयार भी इसके साक्षी बने। कपाट बंद होने के अवसर पर बदरीनाथ पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश ने मंदिर को फूलों से सजाया था, जो आकर्षक छटा बिखेर रही थी। स्थानीय लोक कलाकारों, महिला मंगल दल बामणी, पांडुकेश्वर की ओर से लोकनृत्य व जागर आदि प्रस्तुति दी गई। इसमें लोक संस्कृति की झलक दिखी। इस अवसर पर दानीदाताओं व सेना ने श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन किया था और श्रद्धालुओं ने पंक्तिबद्ध होकर प्रसाद चखा। तीर्थयात्रियों की चहल-पहल से अलग ही माहौल था।
बीकेटीसी अध्यक्ष ने जताया आभार, श्रद्धालुओं को दी शुभकामनाएं
बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने चारधाम यात्रा समापन के अवसर पर सभी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दी और बद्रीनाथ धाम यात्रा से जुड़े सभी विभागों-संस्थाओं का आभार जताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में इस बार चारधाम यात्रा में रिकार्ड 48 लाख से अधिक तीर्थयात्री दर्शन को पहुंचे हैं। चमोली जनपद के जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बद्रीनाथ धाम यात्रा समापन के अवसर पर भगवान बदरीविशाल के दर्शन किए। उन्होंने कहा कि प्रशासन व मंदिर समिति के समन्वयन से बद्रीनाथ धाम यात्रा कुशलतापूर्वक संपन्न हुई है और रिकार्ड संख्या में तीर्थयात्री पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि बद्रीनाथ धाम में मास्टर प्लान का कार्य तेजी से चल रहा है। इससे तीर्थयात्रियों को अधिक सुविधाएं मिलेंगी।
एक घंटे 37 मिनट में पूरी हुई कपाट बंद होने की प्रक्रिया
रात्रि 7.30 बजे से कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हुई। रावल अमरनाथ नंबूदरी, धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी रविंद्र भट्ट, अमित बंदोलिया ने कपाट बंद करने की प्रक्रिया पूरी की। उद्धव जी एवं कुबेर जी बद्रीनाथ मंदिर के गर्भगृह से बाहर आए। इसके बाद रावल अमरनाथ नंबूदरी स्त्री रूप धारण कर मां लक्ष्मी को मंदिर गर्भगृह में विराजममान किया। तत्पश्चात रात्रि सवा आठ बजे भगवान बदरी विशाल को माणा महिला मंगल दल द्वारा बुनकर तैयार किया गया घृत कंबल ओढ़ाया गया। उसके बाद रात नौ बजकर सात मिनट पर रावल अमरनाथ नंबूदरी ने बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद किए।
13 नवंबर से शुरू हो गई थीं पंच पूजाएं
उल्लेखनीय है कि 13 नवंबर से पंच पूजाएं शुरू हो गई थी। पंच पूजाओं के अंतर्गत पहले दिन भगवान गणेश की पूजा हुई, शाम को इसी दिन भगवान गणेश के कपाट बंद हो गए। दूसरे दिन बृहस्पतिवार 14 नवंबर को आदि केदारेश्वर मंदिर तथा शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद हुए। तीसरे दिन शुक्रवार 15 नवंबर को खडग पुस्तक पूजन तथा वेद ऋचाओं का वाचन बंद हो गया। चौथे दिन शनिवार 16 नवंबर मां लक्ष्मी का कढ़ाई भोग चढ़ाया गया। रविवार 17 नवंबर को रात नौ बजकर सात मिनट पर बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद हो गए।
18 नवंबर को पांडुकेश्वर प्रस्थान करेगी उद्धव-कुबेर व आदिगुरू शंकराचार्य की गद्दी
बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि रविवार की रात भगवान बदरी विशाल के कपाट बंद होने के बाद 18 नवंबर सोमवार को प्रात: 10 बजे उद्धव जी, कुबेर जी एवं रावल जी सहित आदिगुरू शंकराचार्य की गद्दी योग बदरी पांडुकेश्वर प्रस्थान करेगी। उद्धव जी एवं कुबेर जी शीतकाल में पांडुकेश्वर प्रवास करेंगे। 18 नवंबर को पांडुकेश्वर प्रवास के बाद 19 नवंबर को आदिगुरू शंकराचार्य की गद्दी रावल धर्माधिकारी वेदपाठी सहित श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ प्रस्थान करेगी। इसके बाद योग बदरी पांडुकेश्वर तथा श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में शीतकालीन पूजाएं भी शुरू हो जाएंगी।