नई दिल्ली। यौन उत्पीड़न केस पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। गुरुवार को अदालत ने कहा कि आरोपी और पीड़ित के बीच सिर्फ समझौते के आधार पर केस को रद्द नहीं किया जा सकता है। इस संबंद में शीर्ष न्यायालय ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया, जिसमें कोर्ट ने केस को रद्द करने के लिए CrPC की धारा 482 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया था।

क्या था मामला

दरअसल, राजस्थान हाईकोर्ट ने नाबालिग छात्रा के यौन उत्पीड़न के दोषी शिक्षक विमल कुमार गुप्ता को राहत दे दी थी। यह मामला 2022 का गंगापुर का है। खबर है कि दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया था, जिसे शुरुआत में निचली अदालत ने मानन से इनकार कर दिया था, लेकिन हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। इसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता रामजी लाल बैरवा ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। 2022 में नाबालिग दलित लड़की ने सरकारी स्कूल के शिक्षक के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद केस दर्ज हुआ था। जांच के दौरान नाबालिग का बयान भी दर्ज किया गया था। इसके बाद गुप्ता ने लड़की के परिवार का बयान एक स्टांप पेपर पर हासिल कर लिया था। इसमें कहा गया था कि उन्होंने गलतफहमी के चलते पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी थी और अब वह शिक्षक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं।

सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ

अब एपेक्स कोर्ट में इस मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस पीवी संजय कुमार की बेंच ने हाईकोर्ट के आदेश को पलट दिया। साथ ही आरोपी शिक्षक के खिलाफ मुकदमा चलाने का भी रास्ता साफ कर दिया है।