मुंबई। नवगठित 15वीं महाराष्ट्र विधानसभा के तीन दिवसीय विशेष सत्र के पहले दिन शनिवार को करीब 173 विधायकों ने शपथ ली। इस मौके पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजीत पवार, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दिलीप वलसे पाटिल, पूर्व मंत्री छगन भुजबल, चंद्रकांत पाटिल, गिरीश महाजन, हसन मुश्रीफ, पहली बार विधायक बनी श्रीजया चव्हाण (पूर्व सीएम अशोक चव्हाण की बेटी), सना मलिक (पूर्व मंत्री नवाब मलिक की बेटी) सहित अन्य ने शपथ ली।इसके बाद विधानसभा स्थगित कर दी गई। विधानसभा रविवार को सुबह 11 बजे फिर से शुरू होगा और शेष विधायक शपथ लेंगे। प्रोटेम स्पीकर कालिदास कोलंबकर ने कार्यवाही की अध्यक्षता की। उन्होंने चैनसुख संचेती, जयकुमार रावल, माणिकराव कोकाटे और आशीष जायसवाल सहित पीठासीन अधिकारियों के एक पैनल की घोषणा की। अधिकांश विधायकों ने ईश्वर और अल्लाह के नाम पर शपथ ली, जबकि अजीत पवार सहित कुछ ने भारत के संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखने की शपथ ली। कुछ विधायकों ने संस्कृत भाषा में शपथ ली। विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले और बाद में महायुति विधायकों ने छत्रपति शिवाजी महाराज की जय, जय श्रीराम और वंदे मातरम के नारे लगाए। इससे पहले भाजपा विधायकों का एक समूह भारत माता की जय जैसे नारे लगाते हुए विधान भवन में दाखिल हुआ, जबकि पार्टी अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी विधायक गुलाबी पगड़ी पहनकर आए। लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले अजित पवार ने गुलाबी जैकेट पहनना शुरू कर दिया था और पार्टी के बैनर और पोस्टर में गुलाबी रंग का इस्तेमाल किया गया था। उपमुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना विधायक भगवा पगड़ी पहनकर आए। इसके बाद फडणवीस, शिंदे और पवार के नेतृत्व में महायुति विधायकों ने छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस बीच उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने शनिवार को शपथ न लेने के महाविकास अघाड़ी के कदम की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें रविवार को शपथ लेनी होगी, क्योंकि उसके बाद ही वे सोमवार को कार्यवाही में भाग ले पाएंगे। अजित पवार ने कहा, “विपक्ष को पूरी विधायी प्रक्रिया पता है। यह उनके द्वारा अपना अस्तित्व दिखाने का एक खराब प्रयास है। ईवीएम को दोष देने का कोई मतलब नहीं है। मैंने महाविकास अघाड़ी में भी काम किया है। जब उन्होंने लोकसभा चुनाव में 31 सीटें जीती तब ईवीएम अच्छी थी। लेकिन विधानसभा के नतीजों के बाद वे ईवीएम को दोष दे रहे हैं।