नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने शिक्षा की दिशा में अहम बदलाव की ओर कदम बढ़ाते हुए एक बहुत बड़ा फैसला लिया है। दरअसल, सरकार ने पढ़ाई में सुधार को ध्यान में रखते हुए ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म कर दिया है। सरकार के इस फैसले के बाद अब 5वीं और 8वीं कक्षा के बच्चों को अगली क्लास में तभी प्रमोट किया जाएगा जब वह परीक्षा पूरी तरह से पास करेंगे। अभी तक 5वीं और 8वीं के बच्चों को अगली क्लास में जाने के लिए परीक्षा पास करना अनिवार्य नहीं था।
फेल छात्रों को 2 महीने के अंदर देना होगा एग्जाम
सरकार के इस फैसले के की जानकारी केंद्रीय शिक्षा विभाग के सेक्रेटरी संजय कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से दी। उन्होंने पीसी में बताया कि सरकार सरकार ने निर्णय किया है कि 5वीं और 8वीं में फेल होने वाले छात्र 2 महीने के भीतर दोबारा परीक्षा दे सकते हैं, लेकिन अगर वह दोबारा भी फेल होते हैं तो उन्हें अब अगली क्लास में प्रमोट नहीं किया जाएगा। साथ ही सरकार ने इसमें एक प्रावधान भी जोड़ा है कि 8वीं तक के ऐसे बच्चे को स्कूल से निष्कासित भी नहीं किया जाएगा।
शिक्षा में सुधार के लिए उठाया गया कदम
शिक्षा विभाग के सचिव संजय कुमार ने आगे कहा कि हमारा प्रयास शिक्षा में सुधार के लिए उपाय सभी संभव और जरूरी उपाय करने का है और यह फैसला उसी को ध्यान में रखकर लिया गया है। इस फैसले के बाद हमने यह भी तय किया है कि हमारे स्कूलों में ऐसे बच्चे जिनका पढ़ाई से किसी कारणवश विशेष लगाव नहीं है उन पर विशेष ध्यान भी दिया जाएगा और इसीलिए हमने इस पॉलिसी के अंडर आने वाले बच्चों के लिए दोबारा एग्जाम जल्द आयोजित करने का फैसला किया है।
एक्ट में बदलाव के बाद लागू हुई थी पॉलिसी
बता दें कि ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ के खत्म होने के बाद केंद्र सरकार के करीब 3000 से अधिक स्कूल इस फैसले से प्रभावित होंगे। केंद्र सरकार के अंतर्गत केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और सैनिक स्कूल आते हैं। ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को 2019 में राइट टू एजुकेशन एक्ट में संशोधन के बाद लागू किया गया था। इस पॉलिसी को इस साल दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने भी खत्म कर दिया था। दिल्ली शिक्षा निदेशालय (डीओई) ने इसी साल मार्च में सरकार ने कक्षा 5 और 8 में ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को समाप्त करने के मद्देनजर कक्षा 6 से 8 में प्रवेश के लिए मौजूदा नीति में संशोधन किया था।
दो महीने के भीतर दोबारा परीक्षा का मौका
इस नई व्यवस्था के अनुसार, असफल स्टूडेंट्स को दो महीने के भीतर दोबारा परीक्षा देने का मौका मिलेगा, लेकिन अगर स्टूडेंट्स दोबारा असफल होते हैं, तो उन्हें अगली क्लास में प्रमोट नहीं किया जाएगा. हालांकि, सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि क्लास 8 तक किसी भी स्टूडेंट्स को स्कूल से निष्कासित नहीं किया जाएगा.
इसलिए लिया गया ये फैसला
शिक्षा मंत्रालय के सचिव संजय कुमार ने बताया कि यह फैसला बच्चों के पढ़ाई के परिणाम सुधारने के उद्देश्य से लिया गया है. उनका कहना है कि बच्चों की सीखने की क्षमता में गिरावट को रोकने के लिए इस कदम को जरूरी समझा गया.मंत्रालय ने विशेष रूप से क्लास 5 और 8 पर ध्यान केंद्रित किया है, क्योंकि इन क्लासओं को बुनियादी शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. इस नई नीति से स्टूडेंट्स और टीचर्स दोनों को पढ़ाई के प्रति अधिक जिम्मेदार बनाने का प्रयास किया गया है.