चेन्नई। चंद्रयान की सफलता के बाद देश के बच्चों में भी उसके बारे में और अधिक जाने की उत्सकता बढ़ गई है इसको देखते हुए चेन्नई स्थित स्पेस स्टार्टअप कंपनी ने सितंबर 2026 तक महिलाओं द्वारा संचालित वैज्ञानिक चंद्र अभियान की योजना बनाई है। इस अभियान में 108 देशों की कक्षा 8 और 9 की लड़कियां भाग लेंगी। यह अभियान तकनीकी रूप से महत्वाकांक्षी है, बल्कि भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी कंपनियों के लिए एक बड़ी उपलब्धि साबित होगा। स्पेस किड्ज इंडिया चांद की सतह पर 80 किलोग्राम के भार वाला एक यान क्रैश लैंड कराने की योजना बना रहा है। इस यान में एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक प्रोपल्सन मॉड्यूल शामिल किया जाएगा। इस परियोजना का उद्देश्य केवल चांद पर यान पहुंचाना नहीं, बल्कि 108 देशों की लड़कियों को सैटेलाइट तकनीक में प्रशिक्षित करना और उन्हें इस मिशन का हिस्सा बनाना है। अभियान के तहत जनवरी 2025 से 12 हजार लड़कियों को सैटेलाइट तकनीक का प्रशिक्षण ऑनलाइन दिया जाएगा। सितंबर 2025 तक हर देश से एक लड़की को चुनकर भारत लाया जाएगा। यहां वह स्पेस किड्ज इंडिया की टीम के साथ मिलकर चंद्रयान के निर्माण का हिस्सा बनेंगी। स्पेस किड्ज इंडिया ने इससे पहले भी फरवरी 2023 में आजादीसैट नामक सैटेलाइट मिशन का नेतृत्व किया था, जिसे भारत के 750 सरकारी स्कूलों की छात्राओं ने बनाया था। इसे इसरो के एसएसएलवी-डी2 रॉकेट से लॉन्च किया था। स्पेस किड्ज इंडिया का यह मिशन वसुधैव कुटुंबकम के संदेश को बढ़ावा देगा। अभियान पूरी तरह से लड़कियों द्वारा संचालित किया जाएगा। इस मिशन के लिए पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल का इस्तेमाल किया जाएगा। इस मिशन पर अनुमानित खर्च 80 लाख से 1 करोड़ अमेरिकी डॉलर आएगा। यह मुख्य रूप से कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी फंडिंग से संचालित होगा। स्पेस किड्ज इंडिया इसरो और अन्य वैश्विक एजेंसियों के साथ साझेदारी कर रही है ताकि बच्चों को प्रशिक्षित किया जा सके और मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया जा सके। अगर यह अभियान सफल होता है, तो यह भारत की निजी अंतरिक्ष कंपनियों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। यह मिशन न केवल विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भारत की शक्ति को प्रदर्शित करेगा, बल्कि दुनिया भर में लड़कियों को विज्ञान और अंतरिक्ष के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी करेगा। चेन्नई की यह स्पेस कंपनी अंतरिक्ष क्षेत्र में महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाने के साथ विज्ञान के क्षेत्र में भारत को ऊंचाई पर ले जाने की दिशा में काम कर रही है।