ढाका। इस्कॉन के संत चिन्मय कृष्ण दास को बांग्लादेश में जेल से बाहर निकलने के लिए इंतजार करना होगा। मंगलवार को केस की सुनवाई थी, लेकिन उनकी पैरवी के लिए कोई वकील ही नहीं पहुंचा। खबर है कि कट्टरपंथियों के डर से वकील उनका केस लेने से ही डर रहे हैं। इसी के चलते जब मंगलवार को अदालत लगी तो उनकी पैरवी के लिए कोई नहीं था। इस पर बेंच ने उनकी बेल अर्जी पर सुनवाई के लिए 2 जनवरी, 2025 की नई तारीख तय की है। IANS की रिपोर्ट के अनुसार चिन्मय दास की बेल के लिए पैरवी करने को कोई वकील ही तैयार नहीं हुआ है। इससे पहले उनके एक वकील पर हमला भी हुआ है, जो फिलहाल आईसीयू में एडमिट हैं और उनकी हालत गंभीर है। बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जागरण जोते के प्रवक्ता रहे चिन्मय कृष्ण दास को बीते सोमवार को देशद्रोह के मामले में अरेस्ट कर लिया गया था। वह हिंदुओं और इस्कॉन के खिलाफ हिंसा के विरोध में हुए एक प्रदर्शन में शामिल हुए थे। इसके बाद उन पर देशद्रोह का आरोप लगाते हुए केस दर्ज किया गया और एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया गया। चिन्मय कृष्णदास पर इस तरह की कार्रवाई किए जाने की भारत समेत दुनिया भर में निंदा हो रही है। कनाडा, अमेरिका जैसे देशों में रह रहे हिंदुओं ने भी इस ऐक्शन की निंदा की है और वहां विरोध प्रदर्शन हुए हैं। चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी का बांग्लादेश में अच्छा प्रभाव रहा है। वह बांग्लादेश चटग्राम में इस्कॉन के डिविजनल ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी रहे हैं। उनके वकील रामेन रॉय पर भी सोमवार को हमला हुआ है। वह फिलहाल अस्पताल में भर्ती हैं और उनका इलाज चल रहा है। चिन्मय दास ने भी इस पर बयान जारी किया है। उनका कहना है कि रामेन रॉय का अपराध यही था कि अदालत में उन्होंने उनकी पैरवी की थी। खबरों के अनुसार इस्लामिक कट्टरपंथियों ने रामेन रॉय के घर पर हमला किया था और फिर उन्हें भी जमकर पीटा गया। इस घटना में वह गंभीर रूप से घायल होने के बाद अस्पताल में एडमिट हैं। इस्कॉन कोलकाता के प्रवक्ता ने कहा कि रामेन रॉय फिलहाल अस्पताल में एडमिट हैं। वह अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘एडवोकेट रामेन रॉय के लिए प्रार्थना करें। उनकी एक ही गलती थी कि उन्होंने अदालत में चिन्मय कृष्ण दास की पैरवी की थी।’ बता दें कि भारत ने भी बांग्लादेश के हालातों पर चिंता जताई है और वहां की सरकार से कहा है कि हिंदुओं पर हमले न किए जाएं।