भोपाल। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि माता-पिता, बड़े-बुजुर्गों का सम्मान हमारी महान संस्कृति की धरोहर है। उनके प्रति आदर और संस्कार घर से ही विकसित होते है। उन्होंने रामायण में उल्लेखित माता-पिता और बुजुर्गों के सम्मान पर आधारित प्रसंगों का जिक्र भी किया। राज्यपाल पटेल अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के अवसर पर प्रशासनिक अकादमी में आयोजित कार्यकम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने मध्यप्रदेश राज्य मानव अधिकार आयोग की विषय पर आधारित “वरिष्ठ नागरिकों की देख-भाल, सुरक्षा, सामाजिक जिम्मेदारी, कानूनी सुरक्षा और मानव अधिकार” ‘स्मारिका’ का लोकार्पण भी किया। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि बुजुर्ग चलते-फिरते इनसाइक्लोपीडिया होते हैं। उनके पास जीवन के हर क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं के समाधान का अनुभव है। बुजुर्ग शारीरिक रूप से कमजोर हो सकते हैं, लेकिन उनका अनुभव अमूल्य है। युवाओं को चाहिए कि वे बुजुर्गों के सान्निध्य में रहें, उनके अनुभव का लाभ लें और उन्हें सम्मान दें। वरिष्ठ नागरिकों की उपस्थिति न केवल परिवार की ताकत है, बल्कि समाज की भी अमूल्य धरोहर है। उनकी सेवा और सम्मान ही हमारी संस्कृति का आधार है। यदि हम अपने मूल्यों और परंपराओं का सम्मान करेंगे, तो निश्चित रूप से विश्वगुरु बनने की दिशा में अग्रसर होंगे। वरिष्ठ नागरिकों के प्रति कृतज्ञता और आदर की भावना ही समाज की खुशहाली की सच्ची राह है। मानव अधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष मनोहर ममतानी ने कहा कि भारतीय परिवेश में वृद्धजनों के आर्थिक, सामाजिक और वैधानिक संरक्षण किये जाने की आवश्कता है। उन्होंने कहा कि आयु एक सतत् अपरिर्वतनीय, सार्वभौमिक प्रक्रिया है। जो गर्भाधान से शुरू होकर व्यक्ति की मृत्यु तक होती है। उन्होंने कहा कि वृद्धजन की महत्वपूर्ण समस्याओं में प्रमुख रूप से शारीरिक दूर्बलता, मानसिक रोग, अकेलेपन की समस्या, आर्थिक असुरक्षा, संयुक्त परिवार का अभाव, मनोंरजन की समस्याओं से बुजुर्गों को बाहर निकालने के लिए समाज को आगे आना होगा। ममतानी ने कहा कि सरकार के साथ-साथ हम लोगों को भी वरिष्ठजनों के सम्मान एवं उनकी सुरक्षा के लिये कार्य करना होगा। कार्यवाहक अध्यक्ष ममतानी ने कहा कि मानव अधिकार आयोग वरिष्ठजनों संरक्षण के लिये संवेदनशीलता से कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि मानव अधिकार आयोग के संज्ञान में 1343 प्रकरण प्राप्त हुए हैं। आयोग द्वारा राज्य सरकार के माध्यम से 1228 प्रकरणों का निराकरण किया गया है। उन्होंने कहाकि आयोग द्वारा नवाचार के रूप में प्रदेश के 24 जिलों में शिविरों का आयोजन कर मानव अधिकार से संबंधित प्रकरणों का त्वरित निराकरण किया गया। ममतानी ने आयोग के उद्देश्यों, कार्यों और योजनाओं पर विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।आयोग के सदस्य राजीव कुमार टंडन ने स्वागत उद्बोधन दिया। विशिष्ट वक्ता के रूप में प्रमुख सचिव सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन की श्रीमती सोनाली पोक्षे वायंगणकर ने कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी। अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान के संचालक राजेश गुप्ता ने वरिष्ठ नागरिकों के कल्याणार्थ केन्द्र और राज्य सरकार की संचालित योजनाओं के बारे में जानकारी दी। राज्यपाल पटेल का राज्य मानव अधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष ममतानी ने पौधा एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनंदन किया। कार्यक्रम में मानव अधिकार आयोग के पुलिस महानिरीक्षक अशोक गोयल ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर नरोन्हा प्रशासनिक अकादमी के महा निदेशक जे.एन. कंसोटिया, न्यायाधीशगण, वरिष्ठजन और आयोग के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।