वाशिंगटन। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हाल ही में हुई मुलाकात एक बार फिर सुर्खियों में है। इस मुलाकात के दौरान ट्रंप ने मजाकिया अंदाज में ट्रूडो को कनाडा को अमेरिका का हिस्सा बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि अगर कनाडा पर टैरिफ का खतरा है, तो वह अमेरिका का 51वां राज्य बन सकता है। डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कनाडा पर 25% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, जिससे कनाडा की अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ सकता था। इस मामले पर चर्चा के लिए ट्रूडो ने ट्रंप से मार-ए-लागो (फ्लोरिडा) में मुलाकात की। ट्रूडो का मकसद टैरिफ के इस खतरे को टालना और दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत रखना था।

क्या हुआ बातचीत में?
ट्रूडो ने ट्रंप से कहा कि 25% टैरिफ लगने से कनाडा की अर्थव्यवस्था पूरी तरह बर्बाद हो सकती है।  ट्रंप ने पलटकर कहा, “कनाडा की अर्थव्यवस्था तब तक जिंदा नहीं रह सकती, जब तक वह अमेरिका को 100 बिलियन डॉलर का नुकसान पहुंचा रहा है।”  ट्रंप ने कनाडा पर आरोप लगाया कि उसने 70 से अधिक देशों के अवैध अप्रवासियों को सीमा पार करने की अनुमति दी है। उन्होंने यह भी कहा कि ड्रग्स और मानव तस्करी रोकने में कनाडा नाकाम रहा है, जिससे अमेरिकी सीमाएं असुरक्षित हो गई हैं। ट्रंप ने कहा कि कनाडा और अमेरिका के बीच व्यापार घाटा 100 बिलियन डॉलर से भी अधिक है। उन्होंने यह चेतावनी दी कि अगर ये मुद्दे हल नहीं हुए, तो वह राष्ट्रपति पद ग्रहण करने के पहले दिन से ही कनाडा के सभी उत्पादों पर 25% टैरिफ लागू कर देंगे।

ट्रंप का विवादित सुझाव
बातचीत के दौरान ट्रंप ने कहा कि अगर कनाडा इन समस्याओं को हल नहीं कर सकता, तो बेहतर होगा कि वह अमेरिका का हिस्सा बन जाए। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा, *”कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बन जाना चाहिए। आप (जस्टिन ट्रूडो) गवर्नर बन सकते हैं।” ट्रंप ने यह भी जोड़ा कि प्रधानमंत्री का पद गवर्नर से बेहतर है, लेकिन यह भी बुरा विकल्प नहीं होगा।
मामले पर लोगों का रिएक्शन
ट्रंप का यह बयान भले ही मजाक में दिया गया हो, लेकिन सोशल मीडिया और विशेषज्ञ इसे हल्के में नहीं ले रहे हैं। – कई लोगों ने इसे कनाडा-अमेरिका संबंधों पर ट्रंप की रणनीतिक सोच का संकेत माना है। वहीं, कुछ ने इसे ट्रंप के अप्रत्याशित बयानबाजी का हिस्सा बताया।   यह मुलाकात न सिर्फ टैरिफ और व्यापार घाटे जैसे मुद्दों को उजागर करती है, बल्कि कनाडा-अमेरिका संबंधों की नाजुक स्थिति को भी दिखाती है। ट्रंप की तरफ से दिया गया सुझाव भले ही मजाकिया हो, लेकिन इसके पीछे की गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।