नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के राम मंदिर निर्माण को असली आजादी बताए जाने पर कांग्रेस ने पिछले दिनों आंदोलन किया था। आरएसएस के नागपुर स्थित मुख्यालय तक मार्च निकाला गया था, लेकिन इस आयोजन में कांग्रेस के ही तमाम कार्यकर्ता शामिल नहीं हुए थे। अब कांग्रेस ने ऐसे लोगों पर ऐक्शन लिया है और कुल 60 कार्यकर्ताओं को पदों से हटा दिया गया है। कांग्रेस ने जिन नेताओं के खिलाफ ऐक्शन लिया है, वे यूथ विंग के सदस्य हैं या पदाधिकारी हैं। कांग्रेस ने जिन लोगों को हटाया है, उनमें कुछ वाइस प्रेसिडेंट, 8 महासचिव, 20 सचिव और कुछ जिलाध्यक्ष शामिल हैं। इस मार्च में महाराष्ट्र के यूथ कांग्रेस प्रेसिडेंट कुणाल रावत भी शामिल थे। इसमें कांग्रेस के कई कार्य़कर्ता शामिल हुए थे, लेकिन कुछ नेता गायब रहे। इस पर सवाल उठे थे कि आखिर कांग्रेस के आंदोलन में नेताओं ने हिस्सा क्यों नहीं लिया। अंत में हाईकमान की मंजूरी के बाद 60 नेताओं के खिलाफ ऐक्शन ले लिया गया। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने आरएसएस मुख्यालय के पास ही मीटिंग की और फिर नारेबाजी की। इन लोगों ने आरएसएस और उसके सरसंघचालक मोहन भागवत के खिलाफ बयान को लेकर ऐक्शन की मांग की। प्रदर्शन के बाद मीडिया से बात करते हुए उदय भानु और राउत ने कहा था कि मोहन भागवत की ओर से यह कहना कि असली आजादी राम मंदिर के निर्माण से मिली है, यह गलत है। उन्होंने कहा कि ऐसा बयान तो सीधे तौर पर भगत सिंह, महात्मा गांधी और अन्य आंदोलनकारियों का अपमान है। इन लोगों ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया था, लेकिन मोहन भागवत के बयान से उन लोगों का अपमान हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का नाम भारत के इतिहास में अमिट है और उसे मिटाया नहीं जा सकता। लेकिन इस प्रदर्शन से ज्यादा चिंता कांग्रेस में इस बात को लेकर हुई कि आखिर उसके ही कई नेता क्यों नहीं पहुंचे।