वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ग्वांतानामो बे जेल में डिटेंशन सेंटर के विस्तार का आदेश दिया है। इस सेंटर में अमेरिका से पकड़े गए अवैध प्रवासियों को रखा जाएगा, जिनकी संख्या लाखों में हो सकती है। डोनाल्ड ट्रंप के इस आदेश ने उन लोगों की दहशत बढ़ा गई है, जिन्हें डर है कि अमेरिका में उन्हें अवैध प्रवासी घोषित किया जा सकता है। अमेरिका में ब्राजील, मेक्सिको, पाकिस्तान समेत दुनिया कई मुल्कों से पहुंचे अवैध प्रवासी हैं। भारत के भी कुछ लोगों के सामने अवैध प्रवासी घोषित होने का खतरा मंडरा रहा है। अब इन लोगों को कुख्यात ग्वांतानामो बे जेल में रखा जाएगा। यह खौफनाक जेल पूरी दुनिया में चर्चित रही है, जिसे 9/11 के आतंकी हमले के बाद तैयार किया गया था। यहां अब तक अमेरिका आतंकवाद से जुड़े मामलों में पकड़े गए लोगों को रखता रहा है। अब इसे लेकर चिंता जताई जा रही है कि डोनाल्ड ट्रंप के आदेश से बड़ी उथल-पुथल हो सकती है और इससे मानवाधिकारों को भी हनन होगा। इस मामले में सेंटर फॉर कॉन्स्टिट्यूशनल राइट्स के निदेशक विंस वॉरेन ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि ग्वांतानामो बे जेल तो पूरी दुनिया में गैरकानूनी शासन, उत्पीड़न और नस्लीयता की पहचान बन गई है। यहां पर अवैध प्रवासियों को रखना खौफनाक होगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपतियों के इतिहास में यह शर्मनाक है। डोनाल्ड ट्रंप का आदेश सीधे तौर पर मानवाधिकारों पर हमला है। इन लोगों को आतंकवाद के खिलाफ जंग के नाम पर रखा गया था। इसके अलावा हैती रिफ्यूजी भी यहां रखे गए थे। आरोप लगते रहे हैं कि अमेरिका इस जेल में मानवाधिकारों का हनन करता है और अंतरराष्ट्रीय कानूनों को उल्लंघन करते हुए सजा दी जाती है। बता दें कि 2013 से 2018 तक काफी मजबूत रहे आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने बड़े पैमाने पर सीरिया और इराक में गैर-मुस्लिमों को मौत के घाट उतारा था। इस्लामिक स्टेट ने कई अमेरिकी सैनिक भी मार डाले थे। तब इस्लामिक स्टेट ने इन लोगों को नारंगी कपड़े पहनाकर कत्ल किया था। इसके जरिए उसने ग्वांतानामो बे जेल में रखे कैदियों के उत्पीड़न के बदले का संदेश दिया था।