प्रयागराज। प्रयागराज में 45 दिवसीय महाकुंभ के चौथे दिन श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाई। दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम में 6 करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया. माना जा रहा है कि तीसरे शाही स्नान पर 10 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचेंगे। 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर 3.5 करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगाई थी। दस देशों का 21 सदस्यीय दल संगम में स्नान करने के लिए पहुंचा। इससे पहले विदेशी दल ने रात्रि में अखाड़ों के संतो के दर्शन भी किए। महाकुम्भ में 16 जनवरी से 24 फरवरी तक ‘संस्कृति का महाकुम्भ’होगा। स्नान के बाद लोगों ने प्रयागराज से लौटना शुरू कर दिया है। रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड की ओर जाने वाली सड़कों पर भारी भीड़ देखी गई। प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर पैर रखने की जगह नहीं बची। लोगों को हॉल में रोका गया।सोमवार रात से अभी तक 4 लोगों की दिल का दौरा (हार्ट अटैक) पड़ने से मौत हो गई। इनमें 3 स्वरूप रानी नेहरू (SRN) और 1 मेला केंद्रीय हॉस्पिटल में भर्ती था। रैन बसेरे, होटल फुल, लोगों ने सड़कों पर डेरा डाला जब लोगों को लगा कि उनका प्रयागराज से आज निकलना मुमकिन नहीं है, तो उन्होंने रैन बसेरों का रुख किया। लेकिन, सभी रैन बसेरे फुल हो चुके हैं।

 मौनी अमावस्या पर आ सकते हैं 10 करोड़ श्रद्धालु

महाकुंभ मेला के पहले अमृत स्नान के सफलतापूर्वक संपन्न होने के बाद सरकार आगे के प्रमुख स्नान की तैयारियों को पुख्ता करने में जुट गई है। मौनी अमावस्या पर 10 करोड़ तक श्रद्धालुओं के आने की संभावना को देखते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने युद्धस्तर पर तैयारियों के निर्देश दिए हैं। 13 जनवरी से महाकुंभ के प्रथम स्नान से अब तक मेला क्षेत्र में 7  करोड़ से अधिक लोग आकर संगम में डुबकी लगा चुके हैं।  मकर संक्राति पर पहले अमृत स्नान के दौरान साढ़े तीन करोड़ से अधिक लोगों ने संगम में स्नान किया है। अब अगला बड़ा अमृत स्नान मौनी अमावस्या का है, जो 29 जनवरी को होगा।

‘व्यवस्था और बेहतर करें’
सीएम ने बुधवार को शासन के उच्चाधिकारियों के साथ महाकुंभ के अनुभवों और कार्यक्रमों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि मौनी अमावस्या के अवसर पर 8-10 करोड़ लोगों के आगमन की संभावना है। ऐसे में व्यवस्थाओं को और बेहतर करने की आवश्यकता है। रेलवे के साथ संवाद बनाकर महाकुंभ स्पेशल ट्रेनों का समयबद्ध आवागमन सुनिश्चित करवाया जाए। नियमित और विशेष ट्रेनों का संचालन लगातार करते रहें। श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए ट्रेनों की संख्या भी बढ़ाई जानी चाहिए।