नईदिल्ली। सरकार ने आज से वन नेशन वन ससब्‍सक्रिप्‍शन-ओएनओएस योजना की शुरुआत की। इस योजना का उद्देश्‍य विद्यार्थियों को सिंगल सब्‍सक्रिप्‍शन प्‍लेटफार्म के तहत शोधपत्रों, जरनलों और शैक्षिक सामग्री सहित व्‍यापक डिजिटल ज्ञान संसाधनों तक निर्बाध पहुंच उपलब्‍ध कराना है। इस योजना से अलग-अलग जगह सब्‍सक्रिप्‍शन लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी और ज्ञान सबको सुलभ होगा। विश्‍वविद्यालयों और आईआईटी सहित सरकारी सहायता प्राप्‍त उच्‍च शिक्षा संस्‍थानों के एक करोड 80 लाख विद्यार्थियों को इस पहल के अंग के रूप में दुनिया भर के शीर्ष जरनल में प्रकाशित शोध पत्रों को देखने की सुविधा मिलेगी। प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने बताया कि योजना तीन चरणों में लागू होगी। फेज-वन में हमने सारी रिसर्च सैंट्रल और स्‍टेट गवर्मेंट की जितनी रिसर्च इन्‍स्‍टीट्यूट, यूनिवर्सिटीज़, कॉलेजिस सबको मिलाया। उसको एक्‍सपीरियंस करके हम फेज-टू में हमारी जो प्राइवेट यूनिवर्सिटीज़ और कॉलेजिस हैं उनको हम देखेंगे कि कैसे मिलाया जाए फेज टू में और फेज-थ्री जब होगा कि जब आपके कोई भी नागरिक देश का अगर वो नॉलेज को एक्सिस करना चाहता है कर पाए तो वो फेज-थ्री होगा। तो पहले तीन साल हमने फेज-वन किया है उसके बाद फेज-टू और उसके बाद फेज-थ्री। केन्‍द्रीय मंत्रिमण्‍डल ने पिछले वर्ष 25 नवम्‍बर को वन नेशन, वन सब्‍सक्रिप्‍शन योजना को स्‍वीकृति दी थी। मंत्रिमंडल के फैसले के दौरान केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्‍णव ने योजना के बारे में विस्‍तार से बताया था। उन्‍होंने बताया कि ओएनओएस योजना के तहत तीन वर्ष की अवधि के लिए छह हजार करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है। यह चुनिंदा उत्‍कृष्‍ट ओपन एक्‍सेस जर्नलों में प्रकाशन के वास्‍ते लाभार्थी लेखकों के लिए सालाना एक सौ पचास करोड़ रुपए की केंद्रीय सहायता भी उपलब्‍ध कराएगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 25 नवंबर 2024 को इस दृष्टिकोण के अनुरूप वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन योजना को मंजूरी दे दी है। इस पहल का उद्देश्य देश के सरकारी उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) और केंद्र सरकार के अनुसंधान एवं विकास केंद्रों के सभी छात्रों,  शिक्षकों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों को अंतरराष्ट्रीय विद्वानों की पत्रिकाओं और लेखों तक पहुंच प्रदान करके ज्ञान की बाधाओं को तोड़ना है। इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत के शैक्षणिक और अनुसंधान समुदाय सर्वोत्तम वैश्विक संसाधनों से लैस हों, नवाचार को बढ़ावा दें और विभिन्न विषयों में अनुसंधान की गुणवत्ता को बढ़ाएं। एक अच्‍छा जनरल की एक्सेस कितनी कम रहती इसलिए प्रधानमंत्री जी ने इसको एक नए स्‍वरूप में डाला है कि क्‍यों ना हम सभी यूनिवर्सिटी अपने रिसोर्सिस को पूल कर लें, कॉमन कर लें। कॉमन करके जितने विश्‍व प्रसिद्ध जनरल हैं उन सबको खरीदें उनका सब्सक्रिप्‍शन करें और उसके बाद में देशभर में जितने भी हमारे एजुकेशनल इन्‍स्‍टीट्यूशंस हैं उन सब में वो उपलब्‍ध हो जाएं। इट्स ए वेरी इंट्रेस्टिंग थॉट एंड दिस इज़ लेट टू द सिक्‍स थाउजेंड करोड़, प्रोग्राम फॉर वन नेशन, वन सब्‍सक्रिप्‍शन।