नई दिल्‍ली। दक्षिण चीन सागर के बाद अब हिंद महासागर में भी हथियारों की रेस तेज होती जा रही है। चीनी नौसेना की बढ़ती उपस्थिति के बीच भारत अब अपनी तीसरी परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्‍बी को शामिल करने जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस भारतीय परमाणु पनडुब्‍बी को इस साल के आखिर में शामिल कर लिया जाएगा। भारतीय नौसेना में यह किलर पनडुब्‍बी ऐसे समय पर शामिल की जा रही है जब पाकिस्‍तान की नौसेना चीन और तुर्की की मदद से बहुत तेजी से आधुनिकीकरण कर रही है और ताकत बढ़ा रही है। भारतीय नौसेना के पास इस समय दो परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्‍बी आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघात है। दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना बन चुकी चीन की पीएलए ने अपनी सबमरीन ताकत के लिए पानी की तरह से पैसे बहा रही है। चीन की नौसेना के पास इस समय 6 परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्‍बी, 6 अटैक परमाणु पनडुब्‍बी और 48 डीजल से चलने वाली एआईपी तकनीक से लैस परंपरागत पनडुब्‍बी है। एआईपी से लैस पनडुब्‍बी कई दिनों तक पानी में रह सकती है।

चीन और पाक‍िस्‍तान से पिछड़ा भारत

चीन जहां बहुत तेजी से अपनी सबमरीन ताकत को बढ़ा रहा है, वहीं भारत की पहली अटैक परमाणु पनडुब्‍बी साल 2036 तक और दूसरी साल 2038 तक नेवी में शामिल होगी। भारतीय नौसेना में हाल ही में 6 कलावरी श्रेणी की परंपरागत सबमरीन शामिल हुई हैं। भारत अब फ्रांस से 3 और कलावरी श्रेणी की पनडुब्बियों को शामिल करने के लिए बात कर रहा है। भारत की कलावरी पनडुब्बियां एआईपी तकनीक से लैस नहीं हैं जिसकी वजह से ये ज्‍यादा समय तक पानी में नहीं रह पाती हैं। एआईपी तकनीक से लैस होने के बाद ये सबमरीन करीब 3 सप्‍ताह तक पानी के अंदर रह सकेंगी। भारत और जर्मनी के बीच भी 6 अत्‍याधुनिक सबमरीन के लिए बातचीत चल रही है। इन पनडुब्बियों में भी एआईपी तकनीक लगी होगी। कई विश्‍लेषकों का कहना है कि इस साल तक तकनीकी बातचीत पूरी होगी और पहली पनडुब्‍बी साल 2030 के बाद ही भारत को मिल सकती है।

पाक‍िस्‍तान ने खरीदी चीन की खतरनाक शिकारी

पाकिस्‍तानी नौसेना में चीन की मदद से 30 अत्‍याधुनिक युद्धपोत शामिल किए जाएंगे। पाकिस्‍तान चीन से हंगोर क्‍लास की 8 सबमरीन को शामिल कर रहा है। यह चीनी सबमरीन एआईपी तकनीक से लैस होगी। पाकिस्‍तान को उम्‍मीद है कि इस सबमरीन से हिंद महासागर में शक्ति संतुलन बदल सकता है।