नई दिल्ली। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग द्वारा खरीफ फसलों के मूल्य निर्धारण प्रक्रिया को लेकर आज दिनांक 18 फरवरी 2025 को एक बैठक का आयोजन अंबेडकर भवन जनपथ रोड नई दिल्ली में सुबह 11 ,बजे से 3 बजे तक किया गया। बैठक में भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मांगेराम त्यागी, प्रदेश अध्यक्ष हरियाणा सेवा सिंह आर्य ने भाग लिया। साथ में पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री अशोक बालियान जी,राजस्थान से रामपाल जाट, छत्तीसगढ़ से पारसनाथ शाहू, उत्तराखंड से भोपाल सिंह, कोट्टारेडी आंध्र प्रदेश सहित सभी राज्यों से किसान संगठन के लोग शामिल रहे। बैठक में धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि आज किसानो में फसलों के मूल्य को लेकर असंतोष है। किसान की फसलों का उचित एवं लाभकारी मूल्य तय नहीं किया जाता और जो तय किया जाता है वह भी किसान को नहीं मिलता।किसान के नाम एग्रो इंडस्ट्री की मदद की जा रही है। सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी का लाभ केवल कम्पनी ले रही है स्वामीनाथन की सिफारिश 2005 में दी गई थी। आज 2025 चल रहा है। स्वामीनाथन जी की सिफ़ारिश अब अप्रासंगिक हो चुकी है। किसानो को लागत में 50% जोड़कर भाव देने कृषि संकट का समाधान नहीं किया जा सकता बल्कि किसान को लागत के सापेक्ष शत प्रतिशत जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाय। भाकियू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मांगेराम त्यागी जी ने कहा कि किसान एक किलो बीज से 50 किलो पैदा करने के बाद भी नुकसान में है वहीं दूसरी तरफ एक किलो से 900 ग्राम दलिया बनाने वाले लाभ में है। अब विषय यह है कि आखिर चूक कहा से है यही मुख्य सवाल है किसानो का है।