भोपाल। मध्य प्रदेश सहित देश भर में ट्यूबरकुलोसिस यानी टीबी रोग को जड़ से मिटाने के लिए टीबी मुक्त भारत अभियान चलाया जा रहा है। आंकड़ों के मुताबिक पिछले 8 सालों में देश में टीबी के मरीजों की संख्या में कमी आई है, लेकिन मध्य प्रदेश के बड़े शहरों में टीबी के मरीजों की संख्या कम होने के बजाय बढ़ गई है। भोपाल, इंदौर, दमोह, धार में टीबी के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। उधर मध्य प्रदेश देश में टीबी से मौतों के आंकड़ों में टॉप-3 राज्यों में है।

प्रदेश के 19 जिलों में बढ़े मरीज

मध्य प्रदेश में अभी 1 लाख 80 हजार से ज्यादा टीबी के मरीज मौजूद हैं। टीबी (क्षय) को जड़ से मिटाने के लिए दवाओं से लेकर पोषण आहार तक की व्यवस्था की जा रही है।  राज्य सरकार क्षय रोगियों को पोषण आहार के लिए भी राशि उपलब्ध करा रही है। इसके अलावा टीबी के गरीब मरीजों की मदद के लिए एनजीओ की भी मदद ली जा रही है, लेकिन तमाम प्रयासों के बाद भी प्रदेश के 19 जिलों में टीबी के मरीजों की संख्या कम होने के स्थान पर बढ़ गई है. सबसे ज्यादा बढ़ोतरी राजधानी भोपाल में हुई है।

टीबी से मौत के आंकड़ों में एमपी टॉप तीन राज्यों में

नेशनल हेल्थ मिशन के आंकड़ों के मुताबिक देश में 2015 के मुकाबले 2023 में टीबी के मरीजों में कमी आई है। 2015 में प्रति लाख जनसंख्या में 237 मामले टीबी के थे, जो 2023 में घटकर प्रति लाख 195 हो गए। 2023 में एक लाख लोगों में 22 लोगों की मौत टीबी से हुई है। 2015 में यह आंकड़ा प्रति लाख 28 लोगों का था। हालांकि मध्य प्रदेश टीबी से मौत के आंकड़ों में देश में टॉप तीन राज्यों में है। 2024 में देश में टीबी से सबसे ज्यादा 14 हजार 229 मौतें उत्तर प्रदेश में हुई हैं. मध्य प्रदेश में 2024 में जनवरी से लेकर अक्टूबर माह के दौरान 5152 मौतें हुई हैं।

क्षय रोगियों की संख्या कम करने के लिए सरकार प्रयासरत

मध्य प्रदेश में कुल टीबी के मरीजों की संख्या में पिछले सालों में कमी आई है। साल 2024 में एमपी में टीबी से ग्रसित मरीजों की कुल संख्या 1 लाख 80 हजार 290 दर्ज की गई थी। जबकि 2023 में यह संख्या 1 लाख 82 हजार 290 थी। इसी तरह 2022 में मध्य प्रदेश में टीबी के मरीजों की संख्या 1 लाख 85 हजार 904 दर्ज की गई थी।

‘स्क्रीनिंग के लिए लगाए जा रहे कैंप’

केन्द्र सरकार द्वारा टीबी से ग्रसित मरीजों को बेहतर पोषण आहार उपलब्ध कराने के लिए हर माह एक हजार रुपए की राशि उपलब्ध कराई जा रही है. पहले यह 500 रुपए थी। यह राशि पोषण भत्ते के रूप में नवंबर 2024 से देना शुरू हुई है। भोपाल जिले के क्षय अधिकारी प्रांजल खरे बताते हैं कि “भोपाल में बड़ी संख्या में लेबर क्लास आती हैं और इसको देखते हुए अलग-अलग स्थानों पर कैंप लगाकर स्क्रीनिंग की जा रही है. घर-घर जाकर दवाएं भी पहुंचाई जा रही है।
क्या होती है ट्यूबरक्लोसिस?

टीबी रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस कीटाणु के कारण होता है। यह कीटाणु हवा के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है. जब सक्रिय टीबी रोग से पीड़ित कोई व्यक्ति खांसता, बोलता है तो टीबी के कीटाणु हवा में फैलते हैं।