गुवाहाटी। असम के ऑल इंडिया यूनाइटेड फ्रंट (एआईयूडीएफ) के विधायक शम्सुल हुदा सोशल मीडिया में सुर्खियां बटोर रहे हैं। उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह एक आदमी को पहले थप्पड़ मारते, फिर केले के पेड़ से पीटते नजर आ रहे हैं। रिपोर्टस के मुताबिक विधायक शम्सुल हुदा इस बात पर भड़क गए थे कि उनके कार्यक्रम के लिए लाल रिबन और केले के बड़े पेड़ नहीं लगाए गए।

छोटे पेड़ देखकर और चढ़ा पारा
जानकारी के अनुसार बिलासपारा के विधायक शम्सुल हुदा के मारपीट का वीडियो धुबरी के दैखोवा बाजार में हुई। वह एक आरसीसी पुल के शिलान्यास समारोह में पहुंचे थे। असम के रीति रिवाज के मुताबिक समारोह स्थल पर केले के पौधे लगाए गए थे। जब उद्घाटन करने की बारी आई तो उन्हें लाल रिबन भी नजर नहीं आया। फिर क्या था, विधायक गुस्से से लाल-पीले हो गए और ठेकेदार के कर्मचारी साहिदुर रहमान को ताबड़तोड़ थप्पड़ जड़ दिया। इसके बाद उनकी नजर केले के छोटे पौधों पर पड़ी तो उनका पारा हाई हो गया।

विधायक की मारपीट से कर्मचारी दुखी
साहिदुर रहमान ठेकेदार अविनाश अग्रवाल के लिए मोहरी का काम करता है। नेताजी की इस हरकत पर सभी भौंचक्के रह गए। साहिदुर रहमान ने बताया कि एआईयूडीएफ विधायक शम्सुल हुदा ने बिना किसी कारण के उन पर हमला कर दिया। उसे एक जनप्रतिनिधि से ऐसे व्यवहार की उम्मीद नहीं थी। यह अपमानजनक और दर्दनाक था।

वायरल वीडियो और जनता का गुस्सा

यह घटना किसी सस्ते फिल्मी ड्रामे से कम नहीं थी। और जैसे ही इसका वीडियो सोशल मीडिया पर पहुंचा, लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। कोई इसे कुर्सी का अहंकार बता रहा है, तो कोई विधायक की मानसिक स्थिति पर सवाल उठा रहा है। एक यूजर ने लिखा, “जनता के सेवक ऐसे व्यवहार करेंगे, तो भरोसा किस पर करें?” पीड़ित सहिदुर रहमान की आवाज में दर्द साफ झलक रहा था। उसने कहा, “मैं तो अपना काम कर रहा था।

माफी का ढोंग या सच?

घटना के बाद पीड़ित रहमान ने उसी रात गौरीपुर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई, जिसे बाद में बिलासिपारा पुलिस स्टेशन ट्रांसफर किया गया। इस मामले में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं 115(2), 8296, 352 और 351(2) के तहत केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और आरोपों की गंभीरता को देखते हुए कानूनी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।

जब मामला तूल पकड़ने लगा और FIR दर्ज हो गई, तो विधायक साहब का रुख बदल गया। उन्होंने माफी मांगते हुए कहा, “मैं मानता हूं कि मुझसे गलती हुई। परिस्थितियों ने मुझे ऐसा करने को मजबूर किया। मैं असम की जनता से माफी मांगता हूं।” लेकिन यह माफी कितनी सच्ची है, इस पर सवाल उठ रहे हैं। क्या यह जनता का गुस्सा शांत करने की कोशिश थी, या सचमुच पछतावा? लोगों का कहना है कि अगर माफी मांगनी ही थी, तो पहले अपनी गलती क्यों नहीं मानी? और फिर, एक जनप्रतिनिधि को ऐसी “परिस्थितियां” क्यों बेकाबू कर रही हैं?
कुर्सी और जिम्मेदारी

यह पहली बार नहीं है जब कोई जनप्रतिनिधि अपने व्यवहार की वजह से चर्चा में आया हो। लेकिन समसुल हुदा की यह हरकत कई सवाल खड़े करती है। क्या पावर की कुर्सी इतनी भारी हो जाती है कि छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा फूट पड़ता है? या फिर यहि व्यक्तिगत अहंकार है, जो जनता की सेवा के वादों पर भारी पड़ रहा है? पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। AIUDF पहले से ही विवादों में घिरी है, और यह घटना पार्टी के लिए एक और झटका साबित हो सकती है।