रायसेन। रायसेन जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर मखनी गांव में वक्फ बोर्ड के एक नोटिस ने हड़कंप मच गया है। वक्फ बोर्ड ने सात परिवारों को 7 दिन में जमीन खाली करने का नोटिस जारी किया है, जिसमें दावा किया गया कि यह उसकी संपत्ति है। नोटिस में चेतावनी दी गई कि ऐसा न करने पर कानूनी कार्रवाई होगी. इस घटना से परेशान ग्रामीण कलेक्ट्रेट पहुंचे और कलेक्टर से हस्तक्षेप की मांग की। कलेक्टर ने जांच का आश्वासन दिया है, लेकिन हिंदू संगठनों ने इसे आस्था पर हमला बताते हुए विरोध शुरू कर दिया है।दरअसल, मखनी गांव में पीढ़ियों से रह रहे सात परिवारों को वक्फ बोर्ड ने नोटिस भेजकर कहा कि उनकी जमीन उसकी संपत्ति है और इसे सात दिन में खाली करें. ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी खसरे में यह जमीन सरकारी है और उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कुटीर भी मिली है। नोटिस से परेशान ग्रामीणों ने कलेक्टर अरुण कुमार विश्वकर्मा को आवेदन सौंपकर कार्रवाई की मांग की।

ग्रामीणों का आक्रोश
पीड़ित ग्रामीण रामकली बाई ने कहा, “हमारी जान चली जाए, लेकिन जमीन नहीं छोड़ेंगे.” रानू मालवीय ने सवाल उठाया, “अगर यह वक्फ की जमीन थी, तो हमें PM आवास कैसे मिला?” प्रभुलाल ने कहा, “हमारा मंदिर और श्मशान यहां है, इसे तोड़ने नहीं देंगे। ग्रामीणों ने साफ किया कि वे किसी भी कीमत पर जमीन नहीं छोड़ेंगे। नेता बद्री प्रसाद शर्मा ने कहा, “यहां प्राचीन मंदिर है, इसे तोड़ने की साजिश बर्दाश्त नहीं होगी। इन परिवारों को हटाने नहीं देंगे.” संगठनों ने वक्फ बोर्ड के दावे को आधारहीन बताते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है।

कलेक्टर का बयान
कलेक्टर अरुण कुमार विश्वकर्मा ने कहा, “मीडिया के जरिए मामला संज्ञान में आया है। वक्फ बोर्ड ने किस आधार पर नोटिस जारी किया, इसकी जांच होगी. दोनों पक्षों को सुनकर न्यायसंगत कार्रवाई करेंगे। जिला प्रशासन ने अभी तक इसकी भनक न लगने की बात स्वीकारी, जिससे सवाल उठ रहे हैं।

विवाद के केंद्र में जमीन
ग्रामीणों का दावा है कि वे पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं और सरकारी दस्तावेजों में जमीन सरकारी है. PM आवास योजना के तहत मकान मिलने के बावजूद वक्फ बोर्ड के दावे ने उन्हें हैरान कर दिया है। वहीं, मंदिर और श्मशान घाट का मुद्दा इसे और संवेदनशील बना रहा है।