नई दिल्ली। विश्व लिवर दिवस पर इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर एंड बायलियरी साइंसेज (ILBS) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहली बार अपनी फिटनेस के राज खोले हैं और युवाओं को स्वस्थ जीवनशैली का मंत्र भी साझा किया है। गृह मंत्री शाह ने कहा, मेरे जीवन में मैंने बहुत बड़ा परिवर्तन किया है। शरीर को जितनी चाहिए- उतनी नींद। शरीर को जितनी चाहिए- उतना पानी और शरीर को जैसा चाहिए, वैसा आहार और नियमित व्यायाम से मैंने मेरे जीवन में बहुत कुछ हासिल किया है।

उन्होंने आगे कहा, हमारे देश के युवाओं को अभी अगले 40-50 वर्षों तक जीना है और देश के विकास में योगदान देना है। मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि वे प्रतिदिन अपने शरीर के लिए दो घंटे और अपने दिमाग के लिए छह घंटे की नींद जरूर दें। यह अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी। यह मेरा स्वयं का अनुभव है। आज मैं यहां इसी अनुभव को आपसे साझा करने आया हूं।

गृह मंत्री अमित शाह का पूरा बयान

”मैं एक मेरे जीवन का अनुभव साझा करने के लिए यहां आया हूं। 2020 के मई महीने से आज तक मेरे जीवन में मैंने बहुत बड़ा परिवर्तन किया है। शरीर को जितनी चाहिए- उतनी नींद। शरीर को जितनी चाहिए- इतना पानी और शरीर को जैसा चाहिए, वैसा आहार और नियमित व्यायाम से मैंने मेरे जीवन में बहुत कुछ हासिल किया और ये अनुभव को साझा करने के लिए मैं आया हूं। मैं आपको बता सकता हूं कि ये साढ़े चार साल के समय में मैं आज करीब करीब सभी एलोपैथिक दवा और इंसुलिन से मुक्त होकर आपके सामने खड़ा हूं। और आज विश्व यकृत पर भी मैं देशभर के विशेषकर सभी युवाओं को जिनको अभी 40-50 साल तक अपना जीवन व्यतीत करना है। इस देश के विकास में योगदान देना है। और देश के विकास के माध्यम से हम सब इच्छा करते हैं, ऐसे विश्व का निर्माण करना है, वो युवाओं को मैं जरूर कहना चाहूंगा कि अपने शरीर के लिए दो घंटा और दिमाग के लिए कम से कम छह घंटे की नींद एक बार रिजर्व कर लीजिए अनेक गुना उपयोगिता इसकी बढ़ जाएगी। और ये मेरा अनुभव है।”

”अगर चार साल पहले डॉक्टर शिव सरीन मुझे यहां बुलाते तो मैं नहीं आता, क्योंकि मैं यहां बात करने लायक ही नहीं होता। महात्मा बुद्ध के जीवन का एक प्रसंग है। एक मां एक बच्चे को लेकर महात्मा बुद्ध के सामने उपस्थित हुई। उसने कहा- महात्मा जी बेटा बहुत गुड़ खाता है तो आप जरा उसको समझाइए। निश्चित मात्रा से ज्यादा कोई भी चीज खाना शरीर के लिए फायदेकारक नहीं होता है। महात्मा बुद्ध ने कहा कि सप्ताह के बाद आइए। एक सप्ताह के बाद मां फिर से आई और बुद्ध ने बेटे को समझाया कि आप ज्यादा गुड़ मत खाइए- इससे हानि होती है। फिर मां से रहा ना गया उसने पूछा कि आपने यही बात एक सप्ताह पहले क्यों नहीं की तो उन्होंने कहा- माता जी मैं स्वयं ही बहुत गुड़ खाता था तो गुड़ छोड़कर बेटे को नसीहत देना चाहता था। मेरी भी स्थिति कुछ ऐसी ही है। मेरे जीवन में डिसिप्लिन लाने का किसी एक महात्मा के आग्रह के कारण मैंने निर्णय किया और ये निर्णय का मुझे बहुत फायदा हुआ है। इसे शेयर करने के लिए मैं आज यहां आया हूं।