दोदोमा। अफ्रीकी देशों में अपने प्रभुत्व का विस्तार करने के लिए भारत ने इतिहास का सबसे बड़ा नौसैनिक युद्धाभ्यास शुरू किया है। मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक भारत का अफ्रीकी देशों के साथ अपना अब तक का सबसे बड़ा संयुक्त नौसैनिक अभ्यास है, जिसका मकसद अफ्रीकी महाद्वीप में अपने प्रभाव और हिंद महासागर में उपस्थिति को मजबूत करना है। ये वो क्षेत्र है, जहां चीन लगातार अपने कारोबार को बढ़ा रहा है और व्यापार की रक्षा के लिए सैन्य प्रभाव का इस्तेमाल कर रहा है। भारत के उप रक्षा मंत्री संजय सेठ सहित भारतीय सरकार और सैन्य अधिकारियों ने छह दिनों तक चलने वाले इस सैन्य अभ्यास का उद्घाटन किया, जिसकी सह-मेजबानी तंजानिया कर रहा है। इस सैन्य अभ्यास में केन्या, मेडागास्कर, मॉरीशस और दक्षिण अफ्रीका सहित आठ अन्य देश हिस्सा ले रहे हैं। एक्सर्ट्स का मानना है कि हिंद महासागर की सुरक्षा के लिहाज से भारत के लिए अफ्रीकी देश काफी ज्यादा महत्वपूर्ण बन जाते हैं। चीन का पहला विदेशी सैन्य अड्डा जिबूती में पहले से ही ऑपरेशनल है। इसके अलावा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के जरिए चीन लगातार अफ्रीकी देशों में अपने नियंत्रण को मजबूत कर रहा है।
अफ्रीकी देशों के साथ भारत का विशालकाय अभ्यास
एफटी की रिपोर्ट में एक्सपर्ट्स ने कहा है कि यह युद्धाभ्यास समुद्री अभियानों में ज्यादा प्रमुख भूमिका निभाने की नई दिल्ली की व्यापक महत्वाकांक्षाओं को दिखाता है। जिसमें समुद्री डकैती विरोधी प्रयास भी शामिल हैं और अफ्रीकी महाद्वीप के देशों के साथ संबंधों को गहरा करना है। ये वो क्षेत्र है जहां चीन के साथ-साथ रूस, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात भी अपने-अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। एफटी की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अधिकारियों ने कहा है कि उन्होंने अभ्यास बनाने की योजना बनाई है, जिसमें एक “बंदरगाह स्टेज” और एक “समुद्री स्टेज” दोनों शामिल होंगे। ये नौसैनिक युद्धाभ्यास एक द्विवार्षिक आयोजन है। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जिन्होंने फरवरी में अपने कई अफ्रीकी समकक्षों से मुलाकात की थी, उन्होंने पिछले हफ्ते एक प्रमुख भारतीय गश्ती पोत आईएनएस सुनयना को हरी झंडी दिखाई थी। जिसे भाग लेने वाले देशों के संयुक्त चालक दल के साथ विध्वंसक आईएनएस चेन्नई और अन्य जहाजों के साथ दक्षिण-पश्चिमी हिंद महासागर में तैनात किया गया था। माना जा रहा है कि अफ्रीका में भारत का यह अभ्यास उसकी मल्टी-एलायंस नीति का हिस्सा भी हो सकता है। Quad देश, जिसमें भारत के अलावा अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया सदस्य हैं, उसका मकसद जहां इंडो-पैसिफिक की रक्षा करना है, उसके साथ भारत अफ्रीकी देशों में भी चीन के प्रभाव को कम करने के लिए भविष्य में काम कर सकता है।