ग्वालियर। मध्यप्रदेश में पशुओं की नस्ल सुधार की धीमी रफ्तार अब सरकार के लिए चिंता का विषय बन गई है। आधुनिक तकनीकें उपलब्ध होने के बावजूद दुग्ध उत्पादन में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो पाई है। दो साल पहले राज्य में ‘सेक्स शार्टेड सीमन’ जैसी उन्नत तकनीक शुरू की गई थी, जो मादा पशुओं के जन्म की संभावना को 90 प्रतिशत तक बढ़ाती है। इसके बावजूद अधिकांश पशुपालक आज भी पारंपरिक तरीकों से ही पशुओं का गर्भाधान करा रहे हैं।
इसी समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार ने “दुग्ध समृद्धि संपर्क अभियान” की शुरुआत की है। यह अभियान 2 अक्टूबर से पूरे प्रदेश में संचालित किया जा रहा है। इसके तहत पहले चरण में उन पशुपालकों का सर्वे किया जा रहा है जो 10 या उससे अधिक दुधारू पशु पालते हैं, जबकि दूसरे चरण में कम पशु पालकों को शामिल किया जाएगा।
अभियान के दौरान पशुपालकों से सीधे संपर्क कर नई तकनीक के लाभ बताए जा रहे हैं, जिससे वे नस्ल सुधार की प्रक्रिया अपनाने के लिए प्रेरित हों। राज्य के पशु अस्पतालों, डिस्पेंसरी और कृत्रिम गर्भाधान केंद्रों पर यह तकनीक उपलब्ध है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में जानकारी के अभाव से इसका उपयोग सीमित है।
डॉ. अनिल अग्रवाल, उप संचालक, पशुपालन एवं डेयरी विभाग के अनुसार —
“सेक्स शार्टेड सीमन तकनीक से दुधारू मादा पशुओं की संख्या बढ़ेगी, जिससे दूध उत्पादन में तेजी आएगी और निराश्रित पशुओं की समस्या भी घटेगी। अभियान के जरिए हर पशुपालक तक यह तकनीक पहुंचाई जा रही है।”
राज्य सरकार को उम्मीद है कि इस अभियान से आने वाले महीनों में दूध उत्पादन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी और पशुपालकों की आमदनी में सुधार आएगा।