नई दिल्ली। भारतीय सेना को स्वदेशी और आधुनिक बनाने की दिशा में केंद्र सरकार ने रक्षा क्षेत्र में निवेश की रफ्तार तेज कर दी है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में रक्षा खरीद (कैपिटल एक्सपेंडिचर) के लिए आवंटित 1.80 लाख करोड़ रुपये में से 92,211.44 करोड़ रुपये (51.23%) सिर्फ पांच महीने के भीतर ही खर्च कर दिए गए हैं। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, सितंबर 2025 के अंत तक कैपिटल एक्सपेंडिचर का 50 प्रतिशत से अधिक उपयोग कर लिया गया है। पिछले वित्तीय वर्ष में मंत्रालय ने 1.59 लाख करोड़ रुपये का 100 प्रतिशत पूंजीगत व्यय पूरा किया था।
खरीद में तेजी, डिलीवरी होगी समय पर
मंत्रालय ने बताया कि खर्च का यह स्तर सुनिश्चित करेगा कि महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म जैसे एयरक्राफ्ट, शिप, पनडुब्बी, हथियार प्रणाली आदि की डिलीवरी समय पर हो सके। सबसे अधिक खर्च एयरक्राफ्ट और एयरो इंजन पर हुआ है, जबकि इसके बाद लैंड सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर उपकरण, हथियार और प्रोजेक्टाइल पर राशि खर्च की गई है। कैपिटल एक्सपेंडिचर के तहत नए हथियारों की खरीद, अनुसंधान एवं विकास (R&D) और सीमा क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण जैसे प्रोजेक्ट शामिल होते हैं, जो भारतीय सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए बेहद अहम हैं।
स्वदेशीकरण को नई गति
रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत स्वदेशीकरण पर जोर लगातार बढ़ रहा है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में घरेलू उद्योगों से खरीद के लिए 1,11,544.83 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। अब तक इस राशि का लगभग 45% खर्च किया जा चुका है। सरकार का उद्देश्य देश में रक्षा प्रौद्योगिकी और निर्माण को आत्मनिर्भर बनाना है। इसके साथ ही MSMEs और स्टार्ट-अप्स को रक्षा निर्माण में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। पिछले पांच वर्षों में सशस्त्र बलों की सेवाओं के लिए पूंजीगत आवंटन में लगभग 60% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो यह दर्शाता है कि भारत अपनी रक्षा क्षमता को आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।