नई दिल्ली/पटना: बिहार विधानसभा चुनाव का इंतजार अब खत्म हो गया है। चुनाव आयोग ने सोमवार को दो चरणों में मतदान की घोषणा की है। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर और दूसरे चरण का 11 नवंबर को होगा। नतीजे 14 नवंबर को घोषित होंगे। इस बार करीब 7.43 करोड़ मतदाता बिहार की नई सरकार चुनेंगे, जिनमें 3.92 करोड़ पुरुष और 3.50 करोड़ महिला मतदाता शामिल हैं। इसके अलावा 14 लाख से अधिक मतदाता पहली बार मतदान में भाग लेंगे।
चुनाव के मद्देनजर एनडीए, महागठबंधन और जनसुराज की मजबूती और कमजोरियों पर एक नजर:
एनडीए
मजबूती:
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जन कल्याणकारी योजनाएं।
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राजद के शासनकाल से नाराज मतदाताओं का समर्थन।
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अगले पांच साल में एक करोड़ युवाओं को नौकरी देने का वादा।
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मुफ्त बिजली, महिलाओं को रोजगार हेतु 10-10 हजार की सहायता, सामाजिक सुरक्षा पेंशन।
कमजोरी:
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अफसरशाही और नेताओं पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप।
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कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और मौजूदा विधायकों के प्रति आक्रोश।
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पिछले चुनाव में किए गए वादों का पालन न होना।
महागठबंधन
मजबूती:
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मुस्लिम-यादव समीकरण से लगभग 30% वोटों की गारंटी।
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राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा से कांग्रेस की सक्रियता।
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तेजस्वी यादव के प्रति युवाओं में आकर्षण।
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महागठबंधन दलों की एकजुटता।
कमजोरी:
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टिकट वितरण में यादवों को वरीयता और मुसलमानों की उपेक्षा।
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बेटिकट समर्थकों के बागी होने का खतरा।
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तेजस्वी परिवार में टकराव और सहयोगी दलों की भावनाओं का अनादर।
जनसुराज पार्टी
मजबूती:
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संस्थापक प्रशांत किशोर की रणनीति और नई पार्टी होने का आकर्षण।
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युवाओं और तंत्र से निराश लोगों का समर्थन।
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ग्रामीण पदयात्रा से बुनियादी समस्याओं की समझ।
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भ्रष्टाचार को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया।
कमजोरी:
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अनुभवी चुनाव प्रचारकों की कमी।
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टिकट वितरण के बाद असंतोष।
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पार्टी पर सवर्णवादी होने और कुछ समर्थकों का अन्य दलों के लिए काम करने का आरोप।