छिंदवाड़ा। जहरीले सिरप के सेवन से छिंदवाड़ा में 14 बच्चों की मौत ने प्रदेश और देश को झकझोर दिया है। विवाद तब बढ़ा जब अंतिम संस्कार के पहले किसी भी बच्चे का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया। इसी वजह से 2 साल की बच्ची योगिता ठाकरे का शव प्रशासन की मौजूदगी में कब्र से निकालकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेजा गया।
परासिया में 11 बच्चों समेत जिले में कुल 14 मौतें कोल्ड्रिफ और नेक्सट्रो डीएस सिरप पीने के कारण हुई हैं। मामले में आरोपी डॉक्टर प्रवीण सोनी को गिरफ्तार कर सस्पेंड कर दिया गया है। सिरप बनाने वाली तमिलनाडु की कंपनी श्रीसन के खिलाफ भी मामला दर्ज है। जांच में सिरप में 48.6% डाय-इथिलीन ग्लाइकोल पाया गया, जो जहरीला है और किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने परासिया दौरा कर मृतकों के परिवारों से मुलाकात की। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने स्वास्थ्य मंत्री से इस्तीफे की मांग की और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की अपील की। एडीएम ने मृत बच्चों के परिवारों को 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार पर असंवेदनशीलता का आरोप लगाया और कहा कि जिम्मेदार अधिकारियों एवं दवा कंपनी पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। मामले में आईसीएमआर की टीम ने सिरप के सैंपल लिए हैं और जांच जारी है।
सिरप कांड ने दवा सुरक्षा, सरकारी जवाबदेही और बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।