भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि गो-माता और गो-पालन का हमारी सनातन संस्कृति में विशेष महत्व है। जो गो-पालन करता है वह ‘गोपाल’ है और जहां गो-पालन होता है, वह घर ‘गोकुल’ कहलाता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गो-संरक्षण और संवर्धन को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। समाज के सहयोग से सरकार का लक्ष्य है कि मध्यप्रदेश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाकर पशुपालक किसानों की आय दोगुनी की जाए। मुख्यमंत्री ने बताया कि देश के कुल दुग्ध उत्पादन का लगभग 9 प्रतिशत हिस्सा मध्यप्रदेश से आता है, जिसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए राज्य में ‘दुग्ध समृद्धि संपर्क अभियान’ चलाया जा रहा है, जिसके तहत पशु चिकित्सक गांव-गांव जाकर पशुपालकों को आधुनिक तकनीक, नस्ल सुधार, पशु पोषण और स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दे रहे हैं। वर्ष 2024-25 को गो-संरक्षण एवं संवर्धन वर्ष के रूप में मनाया गया है।

हर जिले में होगा गोवर्धन पर्व का आयोजन

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि 21 अक्टूबर को प्रदेशभर में गोवर्धन पर्व पारंपरिक और सांस्कृतिक रूप से मनाया जाएगा। इस अवसर पर गौशालाओं और पशुपालकों की विशेष सहभागिता रहेगी। कार्यक्रमों में दुग्ध उत्पादन और पशुपालन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को सम्मानित किया जाएगा। मुख्य आयोजन भोपाल के रवीन्द्र भवन में होगा, जिसमें गोवर्धन पूजन, परिक्रमा, अन्नकूट भोग, बरेदी और ठाट्या नृत्य जैसे पारंपरिक प्रदर्शन होंगे। साथ ही जैविक उत्पाद, दुग्ध उत्पाद और गोबर आधारित शिल्प के स्टॉल भी लगाए जाएंगे।

दुग्ध समृद्धि संपर्क अभियान से जुड़ रहे लाखों पशुपालक

राज्य में 2 अक्टूबर गांधी जयंती से दुग्ध समृद्धि संपर्क अभियान शुरू किया गया। इसके तहत अधिकारी और तकनीकी दल गांव-गांव पहुंचकर पशुपालकों को कम खर्च में अधिक दूध उत्पादन के उपाय बता रहे हैं। अभियान के पहले चरण में 3.70 लाख से अधिक पशुपालकों से सीधा संवाद किया गया। उन्हें नस्ल सुधार, कृत्रिम गर्भाधान, टीकाकरण और संतुलित आहार के बारे में जागरूक किया गया। कई जिलों में मंत्री, सांसद, विधायक और प्रशासनिक अधिकारी भी इस अभियान में शामिल हुए।

गो-शालाओं के लिए बढ़ाया गया अनुदान

सरकार ने गो-शालाओं के रखरखाव के लिए अनुदान राशि 20 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये प्रति गो-वंश प्रतिदिन कर दी है। दो वर्ष पहले गो-शालाओं के लिए 90 करोड़ रुपये का बजट था, जो अब 2025-26 में बढ़ाकर 600 करोड़ रुपये कर दिया गया है। यह राशि डीबीटी के माध्यम से सीधे गौशालाओं के खातों में अंतरित की जा रही है।

प्रदेश में 1000 से अधिक नई गो-शालाएं

वर्तमान में मध्यप्रदेश में 2900 गौशालाएं संचालित हैं, जिनमें 4.25 लाख गो-वंश की देखभाल हो रही है। मुख्यमंत्री गो-सेवा योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में 2203 गौशालाएं सक्रिय हैं।
पिछले एक वर्ष में 1000 से अधिक नई गौशालाएं प्रारंभ की गई हैं। नगरीय क्षेत्रों में भी ग्वालियर, उज्जैन और इंदौर में बड़ी गौशालाएं खोली गई हैं। भोपाल में 69.18 एकड़ भूमि पर 10,000 गो-वंश क्षमता वाली वृहद गौशाला का निर्माण लगभग 45 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि गो-संवर्धन केवल धार्मिक या सांस्कृतिक भावना का विषय नहीं, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था और किसानों की समृद्धि से सीधा जुड़ा है। सरकार का प्रयास है कि हर पशुपालक आर्थिक रूप से सशक्त बने और मध्यप्रदेश ‘दुग्ध समृद्ध राज्य’ के रूप में स्थापित हो।