नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग से भारत की पुलिस व्यवस्था में बड़े बदलाव आए हैं, लेकिन इसके साथ नए खतरे भी उभरे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि ‘डिजिटल अरेस्ट’ आज लोगों के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक बन गया है। राष्ट्रपति भवन में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के परिवीक्षाधीन अधिकारियों को संबोधित करते हुए मुर्मू ने कहा कि लोगों, विशेषकर पिछड़े और वंचित वर्गों को पुलिस को डर का नहीं, बल्कि सहयोग और सुरक्षा का स्रोत मानना चाहिए। मुर्मू ने कहा कि भारत आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है, और देश को आगे बढ़ाने के लिए कानून-व्यवस्था की मजबूती बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा किसी भी राज्य या क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए मजबूत कानून-व्यवस्था एक अनिवार्य शर्त है। प्रभावी पुलिसिंग, आर्थिक प्रोत्साहनों जितनी ही महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति ने कहा कि युवा आईपीएस अधिकारी भविष्य के लिए तैयार पुलिस बल का निर्माण करेंगे और “विकसित भारत” के लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रौद्योगकी ने पुलिसिंग के क्षेत्र को पूरी तरह बदल दिया है।लगभग दस साल पहले ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसा शब्द सोचना भी मुश्किल था, लेकिन आज यह लोगों के लिए एक गंभीर खतरा है,” उन्होंने कहा।‘डिजिटल अरेस्ट’ का मतलब डर, धमकी या धोखाधड़ी के जरिए ऑनलाइन माध्यम से लोगों से पैसे ऐंठना है। मुर्मू ने यह भी कहा कि भारत आज कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के सबसे बड़े उपयोगकर्ताओं में से एक है, और इसकी संख्या लगातार बढ़ रही है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि उन्हें नई तकनीकों को अपनाने में अपराधियों से कई कदम आगे रहना होगा, ताकि तकनीक का गलत इस्तेमाल रोक सकें।