बेंगलुरु।  कर्नाटक सरकार द्वारा सार्वजनिक स्थलों पर किसी भी कार्यक्रम या आयोजन से पहले अनुमति लेने के आदेश को लेकर अब विवाद गहराने लगा है। इसी बीच कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक के. एन. राजन्ना ने अपनी ही सरकार से तीखा सवाल पूछते हुए कहा है – “क्या अब सड़क पर नमाज़ पढ़ने के लिए भी अनुमति लेनी होगी? राजन्ना ने सरकार की नई नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि कानून वही सार्थक होते हैं, जो व्यवहार में लागू किए जा सकें। उन्होंने आशंका जताई कि कहीं यह नियम किसी खास संगठन या समुदाय पर ही लक्षित न हो। उनका बयान सरकार के उस आदेश के बाद आया है, जिसमें किसी भी सार्वजनिक स्थल या सरकारी परिसर में कार्यक्रम करने से पहले पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य किया गया है।

सरकार का पक्ष

राज्य के मंत्री प्रियांक खड़गे ने सफाई देते हुए कहा कि यह नियम किसी खास संगठन या धर्म के लिए नहीं, बल्कि सभी के लिए समान रूप से लागू है। उन्होंने स्पष्ट किया कि चाहे वह सामाजिक संस्था हो, धार्मिक संगठन हो या राजनीतिक दल — सार्वजनिक स्थान पर कार्यक्रम करने से पहले अनुमति लेना अनिवार्य होगा।

राजनीतिक गर्माहट

के. एन. राजन्ना के बयान से कांग्रेस के अंदर ही असहमति के स्वर उभरते नजर आ रहे हैं। यह प्रकरण सिर्फ प्रशासनिक नीति पर नहीं, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता, समानता और धर्मनिरपेक्षता के सवालों पर भी बहस को जन्म दे रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस नियम को धार्मिक कार्यक्रमों पर भी लागू किया गया, तो यह राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर बड़ा मुद्दा बन सकता है।