रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में मंत्रालय महानदी भवन में ‘सुशासन संवाद’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वन मंत्री केदार कश्यप, स्कूल शिक्षा मंत्री गजेन्द्र यादव, मुख्य सचिव विकास शील सहित राज्य के वरिष्ठ अधिकारी, कलेक्टर, एसपी और डीएफओ उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि नवाचारों का उद्देश्य नागरिक जीवन को सरल बनाना और शासन की योजनाओं को प्रभावी बनाना होना चाहिए, न कि केवल प्रयोग के लिए प्रयोग करना। उन्होंने सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए कि नवाचार स्थायी, व्यावहारिक और जन सहभागिता पर आधारित हों।

कार्यक्रम में लोक सेवा गारंटी अधिनियम को प्रभावी रूप से लागू करने के निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि निर्धारित समय में सेवा नहीं देने पर संबंधित अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने ई-ऑफिस प्रणाली के पूर्ण क्रियान्वयन, कार्यालयों की स्वच्छता और फाइलों के डिजिटाइजेशन, तथा ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल के माध्यम से सेवाओं की ऑनलाइन उपलब्धता को सुशासन का मूल आधार बताया। उन्होंने सभी विभागों को मैनुअल प्रक्रियाओं को कम करने और तकनीक आधारित समाधान अपनाने के निर्देश दिए।

शिकायत निवारण प्रणाली में पारदर्शिता, नियमित फील्ड विजिट, और डिजिटल गवर्नेंस को मजबूत करने पर भी विशेष बल दिया गया। मुख्य सचिव विकास शील ने प्रशासनिक संस्कृति में परिवर्तन की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि अधिकारी उदाहरण बनें और नई कार्य संस्कृति को अपनाएं।

कार्यक्रम में जिलों के नवाचारों की प्रस्तुति दी गई। दंतेवाड़ा में ब्लॉकचेन से भूमि रिकॉर्ड डिजिटाइजेशन, नारायणपुर में ‘इंटिफाई’ डेटा प्लेटफॉर्म और जशपुर में ‘महुआ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ की सराहना की गई। ‘जशप्योर’ ब्रांड के तहत महुआ उत्पादों की 300% वृद्धि को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक मॉडल बताया गया।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि सुशासन एक सतत प्रक्रिया है, जिसे तकनीक, अनुशासन और जनसेवा के समन्वय से ही हासिल किया जा सकता है। उन्होंने अधिकारियों से आह्वान किया कि वे मैदान में जाकर योजनाओं का असर देखें और विकसित छत्तीसगढ़ के लक्ष्य की दिशा में ठोस कदम उठाएं।