नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे पर कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा, भारत सरकार की प्रतिक्रिया सामने आ गई है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि भारत की प्राथमिकता अपने नागरिकों और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है। मंत्रालय ने कहा कि भारत का तेल आयात पूरी तरह से देश के ऊर्जा सुरक्षा हितों के अनुरूप तय होता है।

भारत का स्पष्ट जवाब—‘हमारी प्राथमिकता भारतीय उपभोक्ता’

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, भारत तेल और गैस का एक प्रमुख आयातक देश है। अस्थिर वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना हमारी निरंतर प्राथमिकता रही है। हमारी आयात नीतियां पूरी तरह इसी उद्देश्य से निर्देशित होती हैं।”
मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत की ऊर्जा नीति के दो प्रमुख लक्ष्य हैं — ऊर्जा की स्थिर कीमतें सुनिश्चित करना और आपूर्ति को सुरक्षित रखना। इसी के तहत भारत अपने ऊर्जा स्रोतों का विस्तार और विविधीकरण करता रहा है।

अमेरिका संग ऊर्जा सहयोग जारी

भारत ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका के साथ उसके ऊर्जा सहयोग संबंध मजबूत हैं और इन्हें और आगे बढ़ाने पर निरंतर काम हो रहा है। विदेश मंत्रालय ने कहा, “जहां तक अमेरिका का संबंध है, हम कई वर्षों से अपनी ऊर्जा खरीद को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। पिछले एक दशक में इसमें काफी प्रगति हुई है, और मौजूदा अमेरिकी प्रशासन ने भारत के साथ ऊर्जा सहयोग को और गहराने की इच्छा जताई है। इस विषय पर बातचीत जारी है।”

ट्रंप का क्या दावा था?

दरअसल, ट्रंप ने व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान समाचार एजेंसी एएनआई के सवाल के जवाब में कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। ट्रंप ने कहा, “पीएम मोदी मेरे मित्र हैं। हमारे संबंध बहुत अच्छे हैं। भारत रूस से तेल खरीद रहा है, इससे मैं खुश नहीं था। लेकिन अब उन्होंने आश्वासन दिया है कि भारत ऐसा नहीं करेगा। यह एक बड़ा कदम है। अब हमें चीन को भी यही करने के लिए कहना होगा।”

ट्रंप की निराशा का कारण

ट्रंप इस समय यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने में अपनी असमर्थता को लेकर निराश बताए जा रहे हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रति असंतोष जताते हुए उन्होंने कहा था कि पुतिन शांति वार्ता में सबसे बड़ी बाधा हैं। ट्रंप शुक्रवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात करने वाले हैं। गौरतलब है कि चीन के बाद भारत रूस से तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है। इसी कारण, ट्रंप प्रशासन ने अगस्त में भारत पर तेल आयात शुल्क 50% तक बढ़ा दिया था, जिसे उन्होंने रूस के साथ भारत के तेल व्यापार पर दबाव बनाने का तरीका बताया था। भारत के ताजा बयान से ह स्पष्ट हो गया है कि वह किसी बाहरी दबाव के बजाय अपने राष्ट्रीय हितों के अनुरूप ही ऊर्जा नीतियां तय करेगा।