करूर/चेन्नई, 13 अक्टूबर। करूर भगदड़ की घटना से प्रभावित दो परिवारों ने दावा किया है कि 27 सितंबर को उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका में उनके नाम गुमराह करके शामिल किया गया। यह घटना 27 सितंबर 2023 को हुई थी, जिसमें 41 लोगों की मौत हुई थी। पीड़ितों का कहना है कि याचिकाओं में उनका नाम इस उम्मीद के बिना जोड़ा गया कि उनके परिवार के सदस्यों के लिए मुआवजा और नौकरी की मांग की जाएगी।
पीड़ित परिवारों के अनुभव
अभिनेता-नेता विजय की राजनीतिक रैली में जान गंवाने वाले नौ साल के लड़के की मां, शर्मिला, ने कहा, हमें नहीं पता था कि करूर त्रासदी के संबंध में हमारी ओर से सीबीआई जांच का अनुरोध किया गया। मेरे पति पन्नीरसेल्वम, जिन्होंने याचिका पर हस्ताक्षर किए थे, को हमें छोड़े हुए 9 साल हो गए हैं। दिहाड़ी मजदूर पी. सेल्वराज ने बताया कि भगदड़ में अपनी पत्नी चंद्रा की मौत के बाद उन्होंने कुछ कागजों पर हस्ताक्षर किए थे, यह सोचकर कि उन्हें मुआवजा और उनके बेटे को नौकरी मिलेगी। उनके एक बेटे की जान बच गई, लेकिन उनकी पत्नी घटना में फंस गई और मौत हो गई।
धोखाधड़ी और गलतबयानी का आरोप
तमिलनाडु डिजिटल पत्रकार संघ (टीएनडीजेयू) ने 12 अक्टूबर को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करते हुए आरोप लगाया कि मामले को सीबीआई को हस्तांतरित करने की मांग वाली याचिकाएं कथित तौर पर स्वतंत्र, सूचित और स्वैच्छिक सहमति के बिना दायर की गई थीं। टीएनडीजेयू ने प्रधान न्यायाधीश और न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी तथा न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ को भेजे गए ज्ञापन में कहा कि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध रिकॉर्ड किए गए साक्षात्कारों से यह चिंताएं उत्पन्न होती हैं कि याचिकाओं के माध्यम से न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग किया जा रहा है। प्रक्रियात्मक निष्पक्षता और सहमति की वास्तविकता पर गंभीर सवाल उठते हैं।
सियासी आरोप-प्रत्यारोप
इरोड सेंट्रल द्रमुक आईटी विंग के जिला उप-समन्वयक वोइपदी कुमार ने आरोप लगाया कि यह विपक्षी दलों की साजिश है और इस त्रासदी के पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करना आवश्यक है।