भोपाल। मध्यप्रदेश में कफ सिरप ‘कोल्ड्रिफ़’ पीने से 16 बच्चों की मौत के बाद अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। वकील विशाल तिवारी ने इस घटना की CBI जांच की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की है। याचिका में मांग की गई है कि कफ सिरप के निर्माण, परीक्षण, वितरण और नियमन की जांच सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में कराई जाए।
अब तक की कार्रवाई में डॉक्टर प्रवीन सोनी को गिरफ्तार कर निलंबित किया गया है, जिन पर आरोप है कि उन्होंने ही अधिकांश बच्चों को यह सिरप लिखा था। वहीं, सिरप बनाने वाली कंपनी पर भी मामला दर्ज किया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस मामले में सख्त कदम उठाते हुए संबंधित अधिकारियों को निलंबित कर दिया और ड्रग कंट्रोलर का तबादला कर दिया है। साथ ही पुलिस ने जांच के लिए 12 सदस्यीय SIT गठित की है।
याचिका में मांग की गई है कि देश में जल्द से जल्द एक ‘ड्रग रिकॉल पॉलिसी’ बनाई जाए और जहरीले सिरप बनाने वाली कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए जाएं। इसके अलावा, सिरप में पाए गए डाई-इथीलीन ग्लाइकॉल और एथीलीन ग्लाइकॉल जैसे खतरनाक रसायनों की बिक्री पर सख्त निगरानी के नियम बनाए जाएं।
जानकारी के अनुसार, अब तक मध्यप्रदेश और राजस्थान में कुल 18 बच्चों की मौत हुई है, जिनमें से 16 छिंदवाड़ा और 2 राजस्थान के भरतपुर व सीकर में दर्ज की गई हैं। जांच में सिरप में 48.6% DEG पाया गया है, जो किडनी फेलियर का कारण बनता है।
केंद्र सरकार ने छह राज्यों में 19 दवा निर्माण इकाइयों पर निरीक्षण शुरू कर दिया है, जबकि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने संबंधित राज्यों से रिपोर्ट तलब की है।