नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जहां दावा कर रहे हैं कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा, वहीं रूस के उप-प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने बिल्कुल उल्टा बयान दिया है। नोवाक के अनुसार, भारत लगातार रूस से कच्चे तेल की बड़ी मात्रा में खरीद कर रहा है और अब उसने तेल के भुगतान के लिए चीनी करेंसी युआन (Yuan) का इस्तेमाल भी शुरू कर दिया है।
युआन में पेमेंट शुरू, पर हिस्सा कम
रूसी समाचार एजेंसी TASS को दिए एक इंटरव्यू में नोवाक ने बताया कि भारत ने रूसी तेल के कुछ सौदों का भुगतान अब युआन में करना शुरू कर दिया है, हालांकि ज्यादातर लेनदेन अभी भी रूसी करेंसी रूबल में ही हो रहे हैं। उन्होंने कहा, “मुझे पता है कि इस तरह के भुगतान शुरू हो गए हैं, लेकिन फिलहाल इसका प्रतिशत बहुत कम है। पहले भारत, रूस से आयातित तेल का भुगतान भारतीय रुपये (Rupee) में करता था।
चीन के बाद भारत बना दूसरा सबसे बड़ा खरीदार
ऊर्जा एवं स्वच्छ वायु अनुसंधान केंद्र (CREA) की रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2025 में चीन के बाद भारत रूसी कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार रहा है। वहीं, रॉयटर्स की एक रिपोर्ट बताती है कि यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के चलते रूस ने तेल व्यापार में युआन और दिरहम जैसी वैकल्पिक मुद्राओं का उपयोग बढ़ा दिया है, जिससे अमेरिकी डॉलर के दबदबे में कमी आई है।
रूस से तेल आयात में तेज बढ़ोतरी
भारत पारंपरिक रूप से मध्य-पूर्व के तेल पर निर्भर रहा है, लेकिन फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद स्थिति तेजी से बदली। रूस ने सस्ते दामों पर तेल उपलब्ध कराया, जिससे भारत ने आयात में भारी इजाफा किया। कुछ ही समय में रूस से आयातित तेल का हिस्सा कुल कच्चे तेल आयात के 1% से बढ़कर लगभग 40% तक पहुंच गया है।
ट्रंप का दावा—मोदी ने दिया आश्वासन
इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में एक बयान में कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भारत के रूसी तेल आयात पर बात की है। ट्रंप के मुताबिक, “प्रधानमंत्री मोदी ने मुझे आश्वासन दिया है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। यह एक बड़ा कदम है।” उन्होंने आगे कहा कि अब चीन को भी यही करना चाहिए। हालांकि, ट्रंप के इस दावे को लेकर भारत सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। वहीं, रूस के दावे के बाद यह स्पष्ट है कि भारत ने अपने ऊर्जा हितों को ध्यान में रखते हुए तेल भुगतान प्रणाली में विविधता लाने की दिशा में कदम बढ़ाया है।