ई दिल्ली। भारत में धनतेरस और दिवाली पर सोना-चांदी खरीदने की परंपरा सदियों पुरानी है। आमतौर पर लोग ज्वेलरी खरीदना पसंद करते हैं, लेकिन इस बार हालात कुछ अलग हैं। सोने-चांदी के दाम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुके हैं — सोना करीब 1.30 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम, जबकि चांदी 2 लाख रुपये प्रति किलो के पार जा चुकी है। ऐसे में ज्वेलरी खरीदना आम लोगों के बजट से बाहर होता जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार ज्वेलरी की जगह चांदी के बर्तन या सिक्कों में निवेश करना अधिक फायदेमंद साबित हो सकता है। आइए जानें क्यों
कम जीएसटी और मेकिंग चार्ज
ज्वेलरी की तुलना में चांदी के बर्तन या सिक्कों पर कम जीएसटी लगता है। बर्तनों पर केवल 3% जीएसटी देना होता है, जबकि ज्वेलरी पर मेकिंग चार्ज सहित 5% तक टैक्स देना पड़ सकता है।
इसके अलावा, ज्वेलरी में डिजाइन और कारीगरी अधिक होने के कारण मेकिंग चार्ज 15-20% तक पहुंच जाता है। वहीं, बर्तनों में यह चार्ज बहुत कम — केवल 5% या उससे थोड़ा ज्यादा होता है।
🔹 फैशन वैल्यू नहीं, असली निवेश
ज्वेलरी की कीमत में डिजाइन और ब्रांड वैल्यू का बड़ा हिस्सा शामिल होता है, जबकि बर्तन और सिक्कों की वैल्यू उनकी धातु की शुद्धता और वजन पर निर्भर करती है। इसलिए यह शुद्ध निवेश का विकल्प माना जाता है।
🔹 शुद्धता में थोड़ा फर्क
चांदी की ज्वेलरी आमतौर पर 92.5% शुद्धता की होती है, जबकि चांदी के बर्तन 80-90% शुद्धता में बनाए जाते हैं। यानी ज्वेलरी थोड़ी अधिक शुद्ध होती है, लेकिन बर्तन या सिक्कों में निवेश कम लागत पर अधिक उपयोगी और व्यावहारिक साबित होता है।
निष्कर्ष:
अगर आप धनतेरस पर कुछ खरीदने का सोच रहे हैं, तो इस बार सोने या ज्वेलरी की बजाय चांदी के बर्तन या सिक्कों में निवेश करना बेहतर रहेगा। यह न केवल बजट फ्रेंडली है बल्कि दीर्घकालिक लाभदायक निवेश भी साबित हो सकता है।