वॉशिंगटन। दुनिया एक बार फिर परमाणु डर के साये में आ गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 33 साल बाद अमेरिका में परमाणु हथियारों के परीक्षण फिर से शुरू करने का आदेश दे दिया है। इस घोषणा ने वैश्विक स्तर पर चिंता की लहर पैदा कर दी है।
ट्रंप ने यह ऐलान किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं, बल्कि अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर किया, जब वे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के लिए रवाना हो रहे थे। उन्होंने पोस्ट में लिखा, “अब बराबरी जरूरी है। दूसरे देश जब परीक्षण कर रहे हैं, तो अमेरिका क्यों पीछे रहे?”
ट्रंप का तर्क – ‘दूसरे कर रहे हैं तो हम क्यों नहीं?’
ट्रंप ने कहा कि रूस और चीन जैसे देश लगातार अपने परमाणु परीक्षण कार्यक्रमों को बढ़ा रहे हैं, ऐसे में अमेरिका को भी तैयार रहना चाहिए। उन्होंने लिखा, “हमारे पास सबसे सुरक्षित स्टॉक है, लेकिन जब बाकी देश आगे बढ़ रहे हैं, तो हमें भी तैयार रहना चाहिए।”
हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह वास्तविक परमाणु विस्फोटों की बात है या केवल मिसाइलों के फ्लाइट टेस्टिंग की।
चीन-रूस की बढ़ती परमाणु ताकत पर नजर
विश्लेषकों के अनुसार, चीन ने पिछले एक दशक में अपनी परमाणु क्षमता को लगभग दोगुना कर लिया है। 2020 में जहां चीन के पास लगभग 300 परमाणु हथियार थे, वहीं 2025 तक यह संख्या 600 के करीब पहुंच गई। अमेरिकी एजेंसियों का अनुमान है कि 2030 तक चीन के पास 1,000 से अधिक हथियार हो सकते हैं।
वहीं रूस ने हाल ही में दावा किया कि उसने Poseidon परमाणु-चालित टॉरपीडो और Burevestnik नामक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया है।
वैश्विक परमाणु संतुलन पर असर
Arms Control Association के मुताबिक, अमेरिका के पास 5,225, रूस के पास 5,580 और चीन के पास लगभग 600 परमाणु हथियार हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप का यह कदम नॉन-प्रोलिफरेशन ट्रीटी (NPT) जैसे अंतरराष्ट्रीय समझौतों को कमजोर कर सकता है और दुनिया को फिर से हथियारों की होड़ में धकेल सकता है।
अमेरिका में बढ़ा विरोध
ट्रंप के इस फैसले की अमेरिका में तीखी आलोचना हो रही है। नेवादा की डेमोक्रेट सांसद डीना टाइटस ने कहा कि वे इस परीक्षण को रोकने के लिए बिल लाएंगी। वहीं Arms Control Association के डायरेक्टर डैरिल किम्बल ने कहा कि “ट्रंप गलतफहमी में हैं। 1992 के बाद अमेरिका को फिर से परमाणु विस्फोट करने की न जरूरत है, न कारण।”
उन्होंने चेतावनी दी कि यह कदम “नई परमाणु दौड़” शुरू कर सकता है, जिससे वैश्विक अस्थिरता बढ़ेगी।
परमाणु परीक्षणों का इतिहास
अमेरिका ने पहला परमाणु परीक्षण 16 जुलाई 1945 को न्यू मैक्सिको के अलामोगोर्डो में किया था। इसके बाद जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए गए थे।
अमेरिका का आखिरी परीक्षण 1992 में, रूस का 1990 में और चीन का 1996 में हुआ था। 1990 के दशक के बाद से सिर्फ उत्तर कोरिया ने 2017 में परमाणु परीक्षण किया है।
ट्रंप के इस निर्णय ने एक बार फिर दुनिया को उस दौर की याद दिला दी है जब शीत युद्ध (Cold War) के समय परमाणु ताकतों के बीच संतुलन बनाए रखना सबसे बड़ी वैश्विक चुनौती थी।
