नई दिल्ली। यूनेस्को की हालिया रिपोर्ट में सामने आया है कि दुनिया में अब भी करीब 13.3 करोड़ लड़कियां स्कूलों से दूर हैं। पिछले 30 सालों में शिक्षा में लड़कियों और लड़कों के बीच लैंगिक समानता की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, लेकिन अभी भी यह लड़ाई पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। 1995 में बीजिंग में महिलाओं को जीवन के हर क्षेत्र में बराबर अधिकार देने की घोषणा हुई थी। उस वक्त से अब तक प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा में लड़कियों का नामांकन तेजी से बढ़ा है। हालांकि, गरीबी और सामाजिक भेदभाव के कारण कई गरीब लड़कियों को आज भी स्कूल नहीं भेजा जाता। खासकर गिनी और माली जैसे देशों में गरीब लड़कियों की शिक्षा की स्थिति बेहद नाजुक है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि शिक्षा सामग्री और नेतृत्व में लैंगिक असमानता अभी भी बनी हुई है। कई देशों में यौन शिक्षा भी अनिवार्य नहीं है और महिलाओं का शिक्षा नेतृत्व में प्रतिनिधित्व केवल 30 प्रतिशत है। इस असमानता के कारण शिक्षा को पूरी तरह सशक्तिकरण का माध्यम बनाना अभी बाकी है। यूनेस्को के अनुसार, शिक्षा में लैंगिक समानता की यह यात्रा आगे भी जारी रहेगी ताकि हर लड़की को बराबरी का अवसर मिल सके।