नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत में निर्मित तीन ब्रांड के जहरीले कफ सिरप को लेकर चेतावनी जारी की है। संगठन ने स्वास्थ्य प्राधिकरणों से अपील की है कि यदि ये प्रतिबंधित सिरप बाजार में कहीं भी पाए जाएं तो तुरंत इसकी जानकारी दी जाए। डब्ल्यूएचओ ने अपनी सलाह में विशेष रूप से कोल्ड्रिफ कफ सिरप का उल्लेख किया है, जिसे पीने से कथित रूप से मध्य प्रदेश और राजस्थान में कई बच्चों की मौत हुई है।

तीन ब्रांडों पर चेतावनी, गंभीर बीमारी का खतरा

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, जिन सिरप पर चेतावनी जारी की गई है, उनमें कोल्ड्रिफ, रेस्पिफ्रेश टीआर, और रिलाइफ शामिल हैं। इनका निर्माण क्रमशः श्रीसन फार्मास्युटिकल्स, रेडनेक्स फार्मास्युटिकल्स, और शेप फार्मा द्वारा किया गया था।
इन दवाओं के कुछ बैचों में डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) नामक जहरीले रसायन की मिलावट पाई गई, जो इंसानों के लिए अत्यंत हानिकारक है और गुर्दे फेलियर तथा मृत्यु जैसी गंभीर स्थितियां पैदा कर सकता है।

भारत में 17 बच्चों की मौत, जांच में सामने आई चौंकाने वाली जानकारी

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने डब्ल्यूएचओ को जानकारी दी कि पिछले सप्ताह भारत में 5 साल से कम उम्र के 17 बच्चों की मौत इन कफ सिरप के सेवन से हुई।
हालांकि सीडीएससीओ ने स्पष्ट किया है कि इन दूषित सिरपों का निर्यात नहीं किया गया, और अवैध निर्यात के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं। मध्य प्रदेश औषधि नियंत्रक डी.के. मौर्य के अनुसार, प्रयोगशाला परीक्षणों में पाया गया कि कोल्ड्रिफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा 48% से अधिक थी, जबकि स्वीकार्य सीमा सिर्फ 0.1% है। यह स्तर बच्चों के लिए बेहद घातक है।

कंपनी पर कार्रवाई, लाइसेंस रद्द

कई राज्यों में कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके साथ ही तमिलनाडु सरकार ने इस सिरप का निर्माण करने वाली श्रीसन फार्मास्युटिकल कंपनी का मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस रद्द कर कंपनी को बंद करने का आदेश दिया है। इसके अलावा, कंपनी के मालिक जी. रंगनाथन को मध्य प्रदेश पुलिस की विशेष जांच टीम ने गिरफ्तार किया है। वहीं प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में श्रीसन फार्मास्युटिकल्स और उससे जुड़े परिसरों पर छापेमारी भी की है।

डब्ल्यूएचओ की अपील

डब्ल्यूएचओ ने राज्यों और स्वास्थ्य एजेंसियों को सतर्क रहने का निर्देश दिया है और कहा है कि इन दवाओं के किसी भी बैच की मौजूदगी की तुरंत सूचना दी जाए। संगठन ने यह भी कहा कि यह मामला सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है — इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर दवा गुणवत्ता की निगरानी प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता है।