लखनऊ। योगी सरकार का अयोध्या दीपोत्सव-2025 न केवल भगवान श्रीराम की नगरी का वैभव प्रस्तुत कर रहा है, बल्कि यह आत्मनिर्भरता, जनसहभागिता और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक भी बन गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘इको-फ्रेंडली दीपोत्सव’ के संकल्प को साकार करने के लिए प्रदेश की आधी आबादी ने सक्रिय योगदान दिया है।

इस वर्ष लखीमपुर खीरी की माटी से बने 25 हजार इको-फ्रेंडली दीये अयोध्या में रोशनी बिखेरेंगे। ये दीये प्राकृतिक जड़ी-बूटियों की खुशबू के साथ तैयार किए गए हैं, जो दीपोत्सव के वातावरण को सुगंधित और दिव्य बनाएंगे। इसके अलावा, प्रदेश के अन्य जिलों की महिलाओं ने भी हजारों की संख्या में दीये अयोध्या भेजे हैं।

44 महिलाओं ने तैयार किए 25 हजार दीये

जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने बताया कि लखीमपुर की तीन स्वयं सहायता समूहों की 44 महिलाओं ने प्रभु श्रीराम की नगरी को आलोकित करने के लिए 25 हजार दीये बनाए। महिलाओं को प्रति दीया 5 रुपये का भुगतान किया गया, जिससे उन्हें कुल 1.25 लाख रुपये की आय हुई।

स्वयं सहायता समूह की सदस्य संजू देवी ने कहा, मैं बहुत सौभाग्यशाली हूं, जो मुझे दीपोत्सव के लिए दीये बनाने का अवसर मिला। वहीं बिट्टू देवी और फूलमती ने भी बताया कि आधुनिक उपकरणों के इस्तेमाल से उत्पादन तेज और गुणवत्ता बेहतर हुई।

महिला सशक्तिकरण और स्वरोजगार की मिसाल

दीये बनाने की यह पहल महिलाओं को आत्मनिर्भर और समाज की मुख्यधारा से जोड़ने में महत्वपूर्ण साबित हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह की स्वरोजगार और महिला सशक्तिकरण की पहल पूरे प्रदेश के लिए अनुकरणीय बन गई है। दीपोत्सव-25 के माध्यम से योगी सरकार ने जनसहभागिता, स्वावलंबन और पर्यावरण संरक्षण को एक साथ जोड़ते हुए एक सकारात्मक संदेश दिया है।