नई दिल्ली। भारतीय कंपनियों ने साइबर अटैक और डेटा ब्रीच के रूप में अपने टॉप बिजनेस जोखिम की पहचान की है, जबकि 2028 तक के लिए एआई और क्लाइमेट चेंज को भविष्य का बिजनेस जोखिम बताया है। यह जानकारी बुधवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई। ग्लोबल प्रोफेशनल सर्विस फर्म एऑन ने कहा कि प्रतिभाओं को आकर्षित कर उन्हें बनाए रखने की चुनौतियां बनी हुई हैं, जबकि प्रॉपर्टी डैमेज और एक्सचेंज रेट फ्लक्चुएशन एशिया में किसी और जगह की तुलना में भारत में ज्यादा है।
एऑन के भारत के सीईओ ऋषि मेहरा ने कहा, “भारतीय व्यवसाय डिजिटल व्यवधान, टैलेंट अडैप्टेबिलिटी और भू-राजनीतिक बदलावों के बीच उल्लेखनीय एजिलिटी का प्रदर्शन कर रहे हैं।77.8 प्रतिशत भारतीय रेस्पॉन्डेंट्स का कहना है कि उन्हें प्रॉपर्टी डैमेज से नुकसान हुआ है, 46.2 प्रतिशत बिजनेस इंटरप्शन और 63.6 प्रतिशत एक्सचेंज रेट फ्लक्चुएशन से प्रभावित हुए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब आधे रेस्पॉन्डेंट्स के लिए टैलेंट से जुड़ी चुनौतियां और कैश फ्लो/लिक्विडिटी के कारण नुकसान हुआ है।
जोखिम प्रबंधन का औपचारिकीकरण तेजी से हो रहा है, जिसमें 70 प्रतिशत रेस्पॉन्डेंट्स ने डेडिकेटेड रिस्क और इंश्योरेंस टीम को स्थापित किया है। 64.9 प्रतिशत रेस्पॉन्डेंट्स इंश्योरेबल रिस्क की कुल कॉस्ट को मेजर कर रहे हैं।
92.9 प्रतिशत रेस्पॉन्डेंट्स के पास साइबर अटैक के लिए योजनाएं और फॉर्मल रिव्यूज हैं। प्रॉपर्टी डैमेज के लिए 90.9 प्रतिशत रेस्पॉन्डेंट्स के पास योजनाएं हैं। वहीं, 55 प्रतिशत रेस्पॉन्डेंट्स टैलेंट रिटेंशन पर ध्यान दे रहे हैं।
आईटी मंत्रालय के डेटा के अनुसार, 400 से अधिक स्टार्टअप्स और 6.5 लाख प्रोफेशनल्स का एक स्किल्ड वर्कफोर्स 20 अरब डॉलर की साइबरसिक्योरिटी इंडस्ट्री को सशक्त बना रहे हैं, जिसके साथ भारत तेजी से एक ग्लोबल साइबरसिक्योरिटी हब के रूप में उभर रहा है।
सीईआरटी-इन रिसर्च सहयोग, इंटरनेशनल फोरम में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए एक मजबूत और विश्वसनीय साइबर डिफेंस आर्किटेक्चर बना रहा है, जो कि डिजिटल इंडिया विजन से जुड़ा है।
