इम्फाल। इम्फाल में अपने तीन दिवसीय दौरे के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को समाज, सभ्यता और राष्ट्र की शक्ति पर विस्तृत रूप से अपने विचार रखे। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की सबसे प्राचीन और स्थायी सभ्यताओं में से है और इसका आधार हिंदू समाज है। भागवत ने दावा किया कि अगर हिंदू नहीं रहेगा तो दुनिया नहीं रहेगी, क्योंकि समय-समय पर धर्म का सही अर्थ और मार्गदर्शन दुनिया को हिंदू समाज ही देता है।

भारत अमर सभ्यता है, बाकी सब मिट गए”

अपने संबोधन में भागवत ने इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि यूनान, मिस्र और रोमन सभ्यताएँ कभी चमकीं, लेकिन समय के साथ समाप्त हो गईं। उन्होंने कहा,भारत एक अमर समाज, अमर सिविलाइजेशन का नाम है। बाकी सब आए, चमके और चले गए। लेकिन उनके उदय और अस्त हमने देखे। हम आज भी मौजूद हैं और आगे भी रहेंगे। भागवत ने इस स्थायित्व का कारण समाज का ‘बेसिक नेटवर्क बताया, जिसके कारण हिंदू समाज और भारतीय सभ्यता आज भी कायम है।

धर्म का सही मार्गदर्शन हिंदू समाज देता है”

भागवत ने कहा कि हिंदू समाज का कर्तव्य है कि वह दुनिया को धर्म का वास्तविक अर्थ और दिशा देता रहे।
उन्होंने कहा:

  • “हिंदू समाज रहेगा, इसलिए दुनिया रहेगी। हमारा ईश्वर प्रदत्त कर्तव्य है कि हम सही मार्गदर्शन देते रहें।

नक्सलवाद और स्वतंत्रता आंदोलन का उदाहरण

मोहन भागवत ने समाज की सामूहिक शक्ति का ज़िक्र करते हुए कहा कि किसी भी समस्या का समाधान संभव है यदि समाज उसमें एकजुट होकर कार्य करे।
उन्होंने कहा कि—

    • “जब समाज ने तय किया कि नक्सलवाद नहीं चलेगा, तब यह खत्म हुआ।”

    • ब्रिटिश शासन पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा—“ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य अस्त नहीं होता था, लेकिन भारत में उनके सूर्यास्त की शुरुआत हुई। 1857 से 1947 तक 90 वर्षों तक संघर्ष जारी रहा, पर आवाज कभी दबने नहीं दी।

देश की अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भर होनी चाहिए”

भागवत ने आत्मनिर्भरता पर जोर देते हुए कहा कि किसी भी राष्ट्र के लिए आर्थिक, सैन्य और ज्ञान की क्षमता बेहद महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा:

  • “हमारी अर्थव्यवस्था पूरी तरह आत्मनिर्भर होनी चाहिए। हमें किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।”

  • “देश ऐसा हो कि कोई नागरिक दुखी, बेरोजगार या दरिद्र न रहे। सभी लोग देश के लिए काम करें और आनंद से जीवन जिएं।”